सेलाकुई में बलमेर कंपनी उड़ा रही श्रम कानूनों की धज्जियाँ। श्रमिकों का हो रहा आर्थिक शोषण
- कम्पनी प्रबंधन के खिलाफ लगे मुर्दाबाद के नारे
रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल
देहरादून। उत्तराखंड राज्य में हर प्रकार से नियम कानूनों की धज्जियाँ उड़ना कोई नई बात नहीं है। अफसर शाही इतनी हावी है कि आये दिन सोशल मीडिया पर खबरें चलने के बाद भी विभाग चुप्पी साधे बैठा रहता है। राज्य की सरकारों के अथक प्रयासों के बावजूद भी स्थिति जस की तस है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य के सिडकुलों में 70% नौकरी पर उत्तराखंड के युवाओं को नौकरी पर रखने के लिए कहा गया है, परन्तु हकीकत इससे बहुत परे है।
सभी कंपनियों में ठेकेदारी प्रथा पर श्रमिक रखे और निकले जाते हैं। कर्मचारियों को रखने के लिए हर कंपनी में एक ठेकेदार रखा गया है, जिसके जरिए कंपनी श्रमिकों का जमकर शोषण करती हैं।
आपको बता दें कि, राजधानी देहरादून के सेलाकुई सिडकुल स्थित बलमेर कम्पनी जहाँ पर कुछ उत्तराखंड के लोगों को कम्पनी द्वारा बिन बताये नौकरी से निकाल दिया गया है। कारण था कि उन्होंने अपने साथ हो रहे शोषण के बारे में आवाज उठाई।
श्रमिकों का आरोप है कि, उत्तराखंड श्रम विभाग द्वारा जो मानक तय किये गए है, उनकी इस कंपनी के द्वारा खुलेआम धज्जियाँ उड़ायी जा रही हैं और कई वर्षों से लगातार क्रमिकों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
जैसे बेसिक सेलरी से ESI 0.7% की जगह 4% तक काटा जाता है और ESI का लाभ भी मजदूरों को नहीं मिलता। कंपनी के ही एक निकाले गए श्रमिक के द्वारा बताया गया कि, कंपनी में ही काम करते समय उसके हाथ पर चोट लग गई थी, जिसे ठीक होने में तीन माह लग गए।
न तो ESI कार्ड मजदूर को मिला, जिससे वो इलाज करा सके। ना ही उसे उस 3 महीने का वेतन दिया गया, जबकि नियम यह है कि कंपनी में ही कार्य करते समय यदि किसी कर्मचारी के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है, जिसमें उसे शारीरिक चोट पहुंचती है तो उसका इलाज काटे गए ESI द्वारा किया जाता है और दुर्घटना के कारण बेड रेस्ट पर भी वेतन दिया जाता है।
दूसरी सबसे बड़ी बात श्रमिकों के द्वारा जो बताई गई है। वह है कि, कर्मचारियों को बोनस देने के बजाय कंपनी के द्वारा हर महीने उनके वेतन से बोनस काटा जाता है।
यह एक नया ही नियम कंपनी द्वारा निकाल दिया गया है और जो श्रमिकों का ऐसी और बोनस काटता है वह श्रमिकों को कभी नहीं मिलता, उसको भी कंपनी द्वारा डकार दिया जाता है।
अब बात आती है कि, श्रम विभाग क्या कर रहा है? क्या श्रम विभाग के आँखों में पट्टी पड़ी है, जो मजदूरों की इन समस्याओं को नहीं देखता! इसमें भी एक नई कहानी निकल कर सामने आई।
कम्पनी के मजदूरों का कहना है कि, इस कम्पनी में जो ठेकेदार श्रमिकों को रखता है, वह श्रम विभाग के किसी अधिकारी की पत्नी का भाई है। शायद यही कारण है कि कम्पनी की मनमानियों का पता है कि, विभाग शासन प्रशासन कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
इस मामले में क्षेत्रीय दल UKD के महामंत्री व बजरंग दल के नगर अध्यक्ष रमेश ढोंडियाल भी मजदूरों के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि, कम्पनी की दादागिरी नहीं चलेगी। उत्तराखंड के युवाओं का शोषण हो रहा है और संबंधित विभाग लापता है।