CM धामी के कानों तक पहुंची 05 प्रतिशत कमीशन वाली बात। धामी बोले, अंधेरगर्दी कतई बर्दाश्त नहीं
देहरादून। उत्तराखंड शासन के गलियारों से एक ऐसी खबर निकलर सामने आ रही है, जिसने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ा दिया है।
खबर भी ऐसी है, जिसे मुख्यमंत्री धामी किसी भी सूरत में नजरअंदाज करने के मूड में नहीं हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो एक बड़े अधिकारी पर 05 प्रतिशत कमीशन मांगने के आरोप लगे हैं।
एक महत्वपूर्ण विभाग की समीक्षा बैठक में यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कानों तक भी पहुंची और उन्होंने इस पर तीखी प्रतिक्रिया भी दी। जिस अधिकारी की बात यहां हो रही है, वह पूर्व में विवादों में भी फंस चुके हैं। कुछ ऐसी ही कहानी एक और विभाग की समीक्षा बैठक में भी निकलकर सामने आई।
साथ ही समीक्षा अधिकारी से लेकर सचिव स्तर तक कामकाज की चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था को भी कुछ अधिकारियों की ओर से पलीता लगाने का काम किया जा रहा है।
काम में नियम कानून बताने वाले वाले अधीनस्थों को बाईपास कर अधिकारी फाइल सीधे अपने पास मंगाकर मलाई सपोड़ने के खेल में भी लगे हैं। जिन पर देर-सबेर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।
शासन के सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल में एक महत्वपूर्ण विभाग की समीक्षा बैठक ली थी। जिसमें 05 प्रतिशत कमीशन लिए जाने का मुद्दा भी उठाया गया। बताया जा रहा है कि इस तरह के कृत्य को सीएम धामी ने नाकाबिले बर्दाश्त बताया और जमकर फटकार भी लगाई।
उन्होंने दो टूक कहा कि इस तरह की अंधेरगर्दी कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह संदेश भी देने का प्रयास किया कि किसी अधिकारी को फ्रीहैंड प्रदेश के विकास के लिए दिया जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि कोई अधिकारी इन अधिकारों का प्रयोग निजी हित और स्वार्थ के लिए करे।
दरअसल, इस समय सीएम धामी और उनके खास सिपहसालार अधिकारी प्रदेश के विकास के लिए दिन-रात अथक प्रयास कर रहे हैं। धामी की कोर टीम में ऐसे अधिकारियों को जोड़ा जा रहा है, जो योग्य हैं और अपनी क्षमता का प्रयोग प्रदेश के हित में बखूबी करना जानते हैं।
यह भी एक कारण है कि सीएम धामी अब ऐसे अधिकारियों को भी चिह्नित करने लगे हैं, जो काम से ज्यादा दाम की फिक्र में डूबने लगे हैं।
क्योंकि, वह नहीं चाहते हैं कि रजिस्ट्री फर्जीवाड़े पर कड़ी कार्रवाई से लेकर नकल माफिया पर नकेल और सामान नागरिक संहिता के मोर्चे पर बेहतर काम कर जो साख बटोरी गई गई, उस पर किसी भी तरह की आंच न आने पाए।
दूसरी तरफ प्रदेश के तमाम मंत्रियों और सांसदों की दिल्ली दौड़ और आलाकमान के साथ उनकी नित नई तस्वीरें सामने आ रही हैं। बेशक इन सबके पीछे नेतृत्व परिवर्तन की अब तक कोई ठोस बात भी सामने नहीं आई है। अलबत्ता इस दिल्ली दौड़ को विकास के फीडबैक के रूप में देखा जा रहा है।
लिहाजा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फिलहाल ऐसी किसी भी बात को टॉलरेट करने के मूड में नहीं हैं, जो किसी भी रूप में सरकार की छवि पर असर डाले। बल्कि, वह चाहते हैं कि प्रत्येक अधिकारी सीधे जनता के प्रति जवाबदेह बने।
यह भी एक कारण है कि एक बड़े अधिकारी पर 05 प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप को स्वयं सीएम धामी ने गंभीरता से लिया है। अन्यथा वह इसे भरी बैठक में उठाने की जगह बंद कमरे में अधिकारी को बस एक घुड़की देकर चेता सकते थे।
बीते दिनों हुई समीक्षा बैठक में अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाने के साथ ही सीएम ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनका अभियान जारी रहेगा। कार्रवाई करते समय यह नहीं देखा जाएगा कि अधिकारी कौन है और उसका प्रोफाइल क्या है। वैसे भी इस समय ऐसे आरोपों को भुनाने के लिए पार्टी के भीतर ही कई चेहरे भी तैयार बैठे हैं।
लेकिन, बड़ी बात यह है कि कमीशन के इस मुद्दे के विपक्षी दल या पार्टी के ही असंतुष्ट चेहरों के हाथ लगने से पहले ही सीएम धामी ने इसे खुद ही भरी बैठक में उठा दिया। जिससे उन्होंने यह संदेश भी दिया कि वह गलत प्रवृत्ति पर पर्दा डालने की जगह उसे उजागर कर जड़ से समाप्त करने में भरोसा रखते हैं।
फिलहाल, सीएम के तल्ख तेवर से संबंधित आला अधिकारी की घिग्गी बंधी हुई है। यदि सरकार के हाथ इसी तरह के कुछ और कारनामे हाथ लगते हैं तो अधिकारी की अहम महकमों से लंबी छुट्टी भी तय है।
एक और विभाग की समीक्षा बैठक में तो 50-50 कमीशन पर लिया आड़े हाथ
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल के ही दिनों में एक और विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कौन-कौन अधिकारी 50-50 प्रतिशत के कमीशन पर काम-दाम के खेल में लगा है। सीएम की ऐसी तल्खी देखकर कार्मिकों की हवा टाइट हो गई।
उन्होंने साफ कहा कि इस तरह की कारगुजारी तत्काल बंद करो, नहीं तो खामियाजा भुगतने के लिए भी तैयार रहो। बताया जा रहा है कि इस विभाग में कार्मिकों को ऐसी खाईबाड़ी की लत लंबे समय से लगी है। हालांकि, सीएम धामी के ऐसे तेवर देखकर वह कान पकड़ते दिख रहे हैं।
नियम से चलने वाले अधिकारी निगेटिव कैसे हो गए?
सचिवालय में कामकाज की पारदर्शी व्यवस्था के लिए सहायक समीक्षा अधिकारी से लेकर समीक्षा अधिकारी, अनुभाग अधिकारी, अनु सचिव, उप सचिव, संयुक्त सचिव, अपर सचिव और सचिव आदि का क्रम बनाया गया है।
इसी कड़ी में कई अधिकारी ऐसे होते हैं तो जो नियम कानून की कसौटी पर ही ठोक बजाकर फाइल को आगे बढ़ाते हैं। ऐसे में यह व्यवस्था कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को नागवार गुजर रही है। ऐसे अधिकारियों निगेटिव (नकारात्मक) अधिकारी कहकर उन्हें बाईपास भी किया जाने लगा है।
कई बड़े अधिकारी ऐसे ‘नेगेटिव’ कहे जाने वाले अधिकारियों के फाइल न भेजकर सीधे अपने पास मांगकर ‘चिड़िया’ बैठाने का काम कर रहे हैं। हालांकि, ऐसे अधिकारी भी सीएम धामी के क्लीन स्वीप अभियान के लपेटे में आ सकते हैं।