रीजनल पार्टी ने धूमधाम से मनाया ‘जनजाति दिवस’ प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

रीजनल पार्टी ने धूमधाम से मनाया ‘जनजाति दिवस’ प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

देहरादून। गढवाली और कुमाऊनी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने देहरादून में धूमधाम से जनजाति दिवस बनाया गौर तलब है कि, 9 अगस्त को पूरे देश भर में जनजाति दिवस मनाया जाता है।

उत्तराखंड में पहली बार जनजाति दिवस राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने मनाने की शुरुआत की है। समारोह के दौरान के दौरान पार्टी पदाधिकारी से वार्ता करने के लिए समारोह स्थल प्रेस क्लब में आए तहसीलदार विवेक राजौरी के हाथों रीजनल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी प्रेषित किया।

ज्ञापन के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि उत्तराखंड के पर्वतीय खस समुदाय के अंतर्गत आने वाली जातियों को सन 1974 तक प्राप्त खस जनजाति का दर्जा बहाल किया जाए।

इसके अलावा पूरे भारत में जनजाति दिवस के दिन राजकीय अवकाश की घोषणा की जाए और इस दिन सभी राज्यों में जनजातियों से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं ताकि विविध संस्कृतियों से जुड़े लोग इस दिन अपनी जड़ों को याद करें और मुख्य धारा में गुम होने से बच सकें।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल का कहना है कि जिस तरह से मूल निवास और भू कानून खत्म किया जा रहा है, उससे एक दिन गढवाली और कुमाऊनी समुदाय जल्दी ही पहाड़ से गायब हो जाएंगे। आज उत्तराखंडियों में अपनी पहचान का संकट गहराता जा रहा है।

प्रदेश संगठन सचिव सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि उत्तराखंड पर आक्रमण करने वाली जातियो को जनजाति का दर्जा दिए जाने की तैयारी हो रही है तथा पश्चिम बंगाल से तराई में बस जाने वाले लोगों को भी वोट बैंक के लिए आरक्षण दिए जाने की वकालत की जा रही है, जबकि उत्तराखंड के मूल निवासियों की पहचान और अस्तित्व पर लगातार संकट गहराता जा रहा है।

महिला प्रकोष्ठ की महानगर अध्यक्ष शशि रावत ने सवाल किया कि यूसीसी कानून के मुताबिक एक वर्ष पहले भी उत्तराखंड आने वाला व्यक्ति यहां का स्थाई निवासी का दर्जा प्राप्त कर लेगा तो फिर उत्तराखंड के मूल निवासियों की पहचान खत्म ही हो जाएगी।

जिलाध्यक्ष विशन कंडारी ने मांग की कि, जिस तरह से जौनसार में मूल निवास 1950 लागू है और बाहरी व्यक्ति वहां की जमीन नहीं खरीद सकता, उसी तरह से गढवाली और कुमाऊनी समुदाय को जनजाति का दर्जा मिलने से मूल निवास और भू कानून का संरक्षण स्वतः ही प्राप्त हो जाएगा।

रीजनल महिला प्रकोष्ठ नेत्री जगदंबा बिष्ट ने कहा कि, बाकी राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों मे खस जनजाति की पहचान गढवाली और कुमाऊनी समुदाय के रीति रिवाज, धार्मिक परंपराएं ,खास जनजाति के अनुसार हैं।

इसलिए सरकार से हमारा निवेदन है कि खस जनजाति के अंतर्गत आने वाली सभी जातियों का चिन्हीकरण करके इन सभी जातियों को जनजाति का दर्जा दिया जाए।

पार्टी के ओमप्रकाश खंडूड़ी का मानना है कि इसी माध्यम से उत्तराखंड की जल, जंगल और जमीन का संरक्षण हो पाएगा तथा सही मायने में मूल निवास और भू कानून लागू हो पाएंगे और उत्तराखंड की सामाजिक धार्मिक तथा आर्थिक संकट को दूर किया जा सकेगा।

इस अवसर पर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल, प्रदेश संगठन सचिव सुलोचना ईष्टवाल, रीजनल महिला महानगर अध्यक्ष शशि रावत,शांति चौहान, द्रौपदी रावत, उषा बिष्ट, मीना थपलियाल, रजनी कुकरेती, पौड़ी महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष राखी नौडियाल, कुसुमलता, रेनू नवानी, रंजना नेगी, सुनीता रावत, जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष मदन सिंह रावत, पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के कलम सिंह रावत, प्रचार सचिव विनोद कोठियाल, सुरेंद्र चौहान, सुमित थपलियाल, संजय तितोरिया, पदमा रौतेला, प्रवीण सिंह , मंजू रावत, पंकज, राजेंद्र गुसाई, सुरेंद्र सिंह चौहान, मदन सिह रावत आदि पदाधिकारी और तमाम कार्यकर्ता शामिल थे।