देहरादून नगर निगम में स्वच्छता समितियों का गड़बड़झाला। प्रस्ताव 623 का, नियुक्त 985 की
- नगर निगम के 99 स्वच्छकों को कैसे मिला भुगतान?
- प्रस्ताव 623 का, नियुक्त 985 की, नवम्बर और दिसम्बर 2023 की सूची में ही 64 कर्मियों का अंतर
देहरादून नगर निगम में स्वच्छता समितियों के गठन और स्वच्छकों के सत्यापन और वेतन भुगतान की प्रक्रिया को लेकर अब भी सवाल उठ रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी झरना कमठान ने इस संबंध में डीएम को 3 मई 2024 को रिपोर्ट सौंपी है।
पांच पेज की इस रिपोर्ट में निगम की कार्यप्रणाली को लेकर संदेह जताया गया है कि 99 स्वच्छकों का सत्यापन नहीं किया गया और उनको भुगतान कैसे दे दिया गया। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतन स्वच्छकों के खाते में सीधे जाना चाहिए था न कि समिति के माध्यम से।
आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने सूचना के अधिकार से यह रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 जून 2019 की निगम बैठक में 100 वार्डों में स्वच्छता समिति का गठन का प्रस्ताव लाया गया।
इसमें प्रस्ताव लाया गया कि समिति की देखरेख पार्षद और अनुमोदन महापौर और निगम आयुक्त करेंगे। समिति में अध्यक्ष सचिव और कोषाध्यक्ष होंगे। निकट के बैंक में समिति का खाता खोला जाएगा।
इसमें क्षेत्रीय सुपरवाइजर के द्वारा संतोषजनक कार्य के अनुमोदन पर मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी के हस्ताक्षर होने के बाद ही स्वच्छता कर्मी को वेतन का भुगतान होना निश्चित करने की व्यवस्था की गयी थी।
डीएम को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 जुलाई 2003 के शासनादेश के आधार पर 100 वार्डों में 623 पर्यावरण मित्र रखे जाने थे।
स्वच्छता समिति को हर माह को धन उपयोगिता प्रमाण पत्र और कार्य संतोषजनक होने को प्रमाण पत्र मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी को दिया जाना था।
स्वच्छता कर्मी को 275 रुपये देने का प्रस्ताव था। 100 वार्डों के अलावा 10 अतिरिक्त स्वच्छता समितियों का भी गठन किया गया।
इस आधार पर निगम को हर माह 110 समितियों 55 लाख 52 हजार 250 रुपये का भुगतान का प्रस्ताव सदन में पारित किया गया। बताया गया है कि 1 अगस्त 2020 को महापौर और नगर आयुक्त ने 329 स्वच्छकों की नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की।
नवम्बर 2023 में निगम कार्यकाल समाप्त होने पर स्वच्छकों की सूची के मुताबिक स्वच्छता समितियों में कार्यरत स्वच्छता कर्मियों की संख्या 985 है और दिसम्बर 2023 की सूची में इनकी संख्या 921 हो गयी यानी 64 कर्मियों का अंतर आ गया।
99 अनुपस्थित पाए गये और 822 को भुगतान हुआ। सत्यापन भी नहीं हुआ। 2 मार्च 2009 के शासनादेश के मुताबिक स्वच्छकों के खाते में किये जाने का प्रावधान है।
ऐसे में 99 कर्मचारियों के भुगतान को लेकर संदेह है। सीडीओ झरना कमठान, डिप्टी कलेक्टर शालिनी नेगी और कोषाधिकारी विदुषी भट्ट जोशी ने यह रिपोर्ट डीएम को प्रेषित की है।
बता दें कि स्वच्छता समिति में पार्षदों और निगम अधिकारियों की मिलीभगत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 99 कर्मचारियों का गोलमाल तो रिपोर्ट में हुआ है।
इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए। जनता के पैसे की यह बंदरबांट है और साथ ही दूनवासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी।