हाईकोर्ट शिफ्टिंग से जुड़ी सूचना न देने पर जवाब तलब सूचना आयुक्त। पढ़ें….
नैनीताल। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई की तिथि 7 अगस्त निर्धारित की है।
गोपनीयता का हवाला देकर हाईकोर्ट शिफ्टिंग से जुड़ी सूचना न देने के मामले में वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने हाईकोर्ट के लोक सूचना अधिकारी, राज्य सूचना आयुक्त और अन्य से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता नितिन सिंह कार्की ने आरटीआई के माध्यम से हाईकोर्ट के लोक सूचना अधिकारी से उच्च न्यायालय को नैनीताल से स्थानांतरित करने के संबंध में हाईकोर्ट की फुल बेंच की बैठकों में लिए गए निर्णय की सूचना मांगी थी।
लेकिन हाईकोर्ट के लोक सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए सूचना देने से इन्कार दिया कि उच्च न्यायालय की फुल बेंच की बैठक के प्रस्ताव गोपनीय प्रकृति के हैं, इसलिए आरटीआई के तहत इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता ने सूचना के ऐसे गैर-प्रकटीकरण को हाईकोर्ट के प्रथम अपीलीय प्राधिकारी/न्यायालय और अंततः द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी/राज्य सूचना आयोग, उत्तराखंड के समक्ष चुनौती दी।
राज्य सूचना आयोग ने भी अपने 7 नवंबर 2023 के आदेश के तहत यह कहते हुए सूचना देने से इन्कार कर दिया कि उच्च न्यायालय के नियमों के कारण सूचना प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि इसे गोपनीय माना गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8 के अनुसार उच्च न्यायालय एक सार्वजनिक प्राधिकरण है।
इसमें सूचना के प्रकटीकरण से उच्च न्यायालय को कोई छूट नहीं है। कहा गया कि उच्च न्यायालय में ऐसा कोई नियम नहीं है, जो फुल बेंच के प्रस्ताव को गोपनीय बनाते हों, इसलिए लोक सूचना अधिकारी ने गलत तरीके से सूचना देने से इन्कार कर दिया है।
याचिका में हाईकोर्ट के लोक सूचना अधिकारी, राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त व राज्य के विधि सचिव आदि को पक्षकार बनाया गया है।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई की तिथि 7 अगस्त निर्धारित की है।