खुलासा: पौड़ी की दमदेवल रेंज में हजारों हरे-भरे पैड़ो का अवैध पातन। बेखबर प्रशासन

पौड़ी की दमदेवल रेंज में हजारों हरे-भरे पैड़ो का अवैध पातन। बेखबर प्रशासन

रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल

पौड़ी। एक ओर पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मनाता है। वहीं उत्तराखण्ड राज्य भी हर वर्ष हरेला पर्व मनाता है। हरेला पर्व पर वन विभाग लाखों की तादाद में पौधारोपण करता है।

सरकार मे बैठे जनपतिनिधि व हर विभागों के आलाधिकारी भी पौधा लगाकर सेल्फी लेकर सोशल मीडिया के छाए रहते है, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है।

अब पहाड़ों में भी भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से भू-माफियाओ ने हरे भरे जंगलो को काटना शुरू कर दिया है।

मामला जनपद पौड़ी के पौड़ी वन प्रभाग के दमदेवल रेंज के अंतर्गत एकेश्वर के ग्राम ध्याडी का है। जहाँ इन दिनों हरे भरे जंगल को काट कर सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जा रहा है, मगर जिम्मेदार वन विभाग को इसकी भनक तक नही।

वही सात किलोमीटर दूरी सतपुली पर तहसील प्रशासन के अधिकारी AC की हवा मे बैठे है, इनको भी पहले लिखित मे शिकायत मिलनी चाहिए तब ये अधिकारी सिर्फ जांच ही करेंगे।

आपको बता दे कि, पिछले पांच वर्षो से इस क्षेत्र में सौर ऊर्जा प्लांट के नाम पर लाखों हरे भरे पेड़ों को काटा गया है। मगर जिम्मेदार वन विभाग व प्रशासन ने सिर्फ 10-20 पेड़ों का चालान काटकर इन माफिया को बचा दिया गया।

चिंता का विषय है कि, अगर इसी तरह से हर वर्ष लाखों पेड़ काटे जाएंगे तो आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में भारी नुकसान होने की संभावना है, जिसके लिए ग्रामीण व वन विभाग जिम्मेदार होगा।

उपजिलाधिकारी सतपुली ने कहा कि, मीडिया द्वारा मामला संज्ञान में आया है। मौके पर वन विभाग व राजस्व विभाग की टीम को जाँच के लिए निर्देशित किया जा रहा है।

अब आपको हम एक और जानकारी देते है कि, वन विभाग इन हरे-भरे पेड़ो को “कुकाट ” और झाडी कहता है तो क्या ये पेड़ ऑक्सीजन नहीं देते? या फिर ये पेड़ क्या गर्म हवा देते है?

“कुकाट” के नाम पर ध्याड़ी, डंडा सहित अन्य गांव में पहले भी लाखों पेड़ सौर ऊर्जा प्लांट के नाम पर भेंट चढ़ चुके है। बल्कि इनकी आड़ में आम सहित अन्य प्रजाति के कई पेड़ भी काटे गए और वन विभाग द्वारा कुछ ही पेड़ो का जुर्माना काटा गया।

सूत्रों के अनुसार इन जगहों पर उत्तराखण्ड सरकार की भूमि भी कब्ज़ाई गई है, जिसका कि प्रशासन ने चालान किया गया व उपजिलाधिकारी कोट में केस विचाराधीन है और कुछ जगहों पर अवैध अतिक्रमण को हटाया गया, केवल दिखावे के लिए।

आज भी कई सौर ऊर्जा प्लांट वाले सैकड़ो नाली सरकारी भूमि पर कब्जा किये हुए है और लाखों रूपये की चांदी काट रहे है और सम्बंधित विभाग के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे है।