भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब होंगे संसद के नए प्रोटेम स्पीकर। राष्ट्रपति ने की नियुक्ति
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति कर दी है। ओडिशा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा सत्र के मद्देनजर इस पद पर नियुक्त किया गया है।
बता दें कि महताब सात बार के सांसद हैं और अगले स्थायी स्पीकर की नियुक्ति तक वे सदन में स्पीकर की सभी जिम्मेदारियां निभाएंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत भाजपा सांसद को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है।
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे महताब
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू का कहना है कि लोकसभा सदस्य के. सुरेश, टीआर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय प्रोटेम स्पीकर महताब की सहायता करेंगे।
उन्होंने आग बताया कि भर्तृहरि महताब लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक पीठासीन अधिकारी के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। बता दें कि 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा। नवनिर्वाचित सदस्य 24-25 जून को शपथ लेंगे।
कौन हैं भर्तृहरि महताब?
भर्तृहरि महताब ओडिशा की कटक लोकसभा सीट से सात बार सांसद चुने गए हैं। उन्होंने इस वर्ष लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजू जनता दल (बीजद) को बड़ा झटका देते हुए पार्टी की स्थाई सदस्यता से इस्तीफा दिया था। इसके साथ ही वे भाजपा में शामिल हो गए थे।
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति क्यों होती है?
प्रोटेम स्पीकर को संसद के अस्थाई अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाता है। यह नियुक्ति तब की जाती है, जब नियमित स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ होता है। प्रोटेम स्पीकर का काम निर्वाचित किए गए सदस्यों को शपथ दिलाना होता है।
इसके अलावा नए स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया को संचालित करना होता है। प्रोटेम स्पीकर की भूमिका अस्थाई होती है और नए स्पीकर के चयन के बाद यह जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है।
इस आधार पर होता है प्रोटेम स्पीकर का चयन
नई लोकसभा की पहली बैठक के ठीक पहले स्पीकर का पद खाली हो जाता है। ऐसे में स्पीकर की जिम्मेदारियां सदन के ही एक सदस्य को निभानी होती हैं। इसे राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर के रूप में चुनता/चुनती है।
यही लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है। इसके चुनाव के लिए वरिष्ठ सांसदों की लिस्ट बनाई जाती है। यह वरिष्ठता उम्र नहीं बल्कि लोकसभा और राज्यसभा में कार्यकाल के आधार पर तय होती है।
ये लिस्ट प्रधानमंत्री को सौंप दी जाती है। वो एक सदस्य की पहचान प्रोटेम स्पीकर के रूप में करते हैं। इसके अलावा तीन और सदस्यों को पहचाना जाता है, जिनके सामने मंत्री शपथ ले सकते हैं।
पीएम की मंजूरी के बाद, इन पदों के लिए चुने गए सदस्यों की सहमति ली जाती है। ये काम संसदीय कार्य मंत्री करता है। मंत्री इसके बाद राष्ट्रपति को एक नोट सौंपते हुए प्रोटेम स्पीकर और अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति पर उनकी मंजूरी मांगता है।
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद प्रोटेम स्पीकर और तीन सदस्यों को शपथ दिलाने की तैयारियों का काम शुरू हो जाता है।