वन्यजीव गणना में बड़ा खुलासा। उत्तराखंड से गायब हुए 652 तेंदुए, पढ़ें….
देहरादून। भारतीय वन्य जीव संस्थान ने उत्तराखंड के जंगलों में नए वन्य जीवों की गणना के आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें संस्थान ने पाया कि उत्तराखंड में अचानक से 600 से अधिक तेंदुए गायब हो गए हैं।
साल 2024 में की गई गणना के अनुसार उत्तराखंड में 2,776 तेंदुए मौजूद हैं। इसमें सबसे अधिक तेंदुए पौड़ी जिले में पाए गए हैं।
राज्य के 13 जनपदों में की गई गणना के बाद अब जो बातें निकलकर सामने आई हैं वो ये बताती है कि, तेंदुओं की कमी इसलिए हो जाती है क्योंकि जिस जगह पर बाघों की संख्या अधिक हो वहां से तेंदुए किसी और जगह चले जाते हैं।
गिनती में 652 तेंदुए कम
हर साल उत्तराखंड के जंगलों में वन्य जीव जंतुओं की गणना की जाती है, जिसमें तेंदुए, टाइगर, बाघ, घड़ियाल, हाथी और यहां तक पशु पक्षियों की भी गणना की जाती है।
ये गणना राजाजी नेशनल पार्क से लेकर कॉर्बेट नेशनल पार्क और ऊपरी हिमालय में तमाम सेंचुरियों में होती है। हाल ही में की गई तेंदुओं की गणना के बाद यह बात सामने आई है कि राज्य में 652 तेंदुए कम हुए हैं।
राज्य में की गई गिनती के बाद खुले आंकड़ें
- केदारनाथ वन्य क्षेत्र में 138 तेंदुए हैं।
- अल्मोड़ा में 272
- चंपावत में 169
- नैनीताल में 134
- नरेंद्र नगर में 129
- टिहरी गढ़वाल में 145
- रुद्रप्रयाग में 117 तेंदुए रिकॉर्ड किये गये हैं।
बाघ नहीं चाहता उसकी सल्लनत में आएं तेंदुएं
राजाजी नेशनल पार्क के पूर्व निदेशक सनातन सोनकर का कहना है कि, यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। अगर किसी जगह पर तेंदुए की संख्या कम हो रही है तो इस बात की अधिक संभावना है कि वहां बाघ का बसेरा हो सकता है।
ये दोनों ही जानवर अत्यधिक सक्रिय हैं। दोनों को ही एक जगह नहीं रखा जा सकता। यह प्रकृति का नियम भी है। बाघ अपने क्षेत्र में किसी तरह का कोई भी हस्तक्षेप नहीं चाहता। यही कारण है कि दूसरे जानवरों को उसके क्षेत्र से जाना पड़ता है।
उत्तराखंड में घातक तेंदुए और बाघ
उत्तराखंड में मानव जाति के लिए सबसे अधिक घातक तेंदुए और बाघ ही हैं। हर महीने उत्तराखंड में किसी न किसी क्षेत्र में यह आदमखोर हो चुके जानवर इंसानी जान ले रहे हैं। वन्य जीव जंतुओं के साथ संघर्ष की घटनाएं प्रदेश के पौड़ी जिले में सबसे अधिक देखने को मिली है।
बता दें कि, उत्तराखंड में आए दिन जंगली जानवरों से मानव संघर्ष की घटनाएं सामने आती रहती हैं। यह घटनाएं राज्य में सर्दियों के सीजन में अधिक बढ़ जाती हैं।
अब तक के आंकड़ों पर गौर करें तो जानवर और इंसानों के बीच-
- वर्ष 2022 में 407 मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आए।
- वर्ष 2022 में ही कुल घटनाओं में 325 लोग घायल हुए, 82 लोगों की जान चली गई।
- वर्ष 2023 में 383 मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं हुई।
- वर्ष 2023 की घटनाओं में 317 लोग घायल हुए, 66 लोगों को जान गंवानी पड़ी।
- वर्ष 2024 में अब तक कुल 21 घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 6 से अधिक लोगों की मौत हुई है।