विश्वविद्यालय का ध्यान नये अनुसंधान व शोध पर केन्द्रित
- एसआरएचयू में इंटेलैक्चुअल प्रोपर्टी राइट पर कार्यशाला आयोजित
डोईवाला। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) में इंटेलैक्चुअल प्रोपर्टी राइट ( बौद्धिक संपदा अधिकार) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को पेटेंट के विभिन्न चरण और प्रक्रिया के विषय में जानकारी दी गयी।
गुरुवार को इंजीनियरिंग कालेज के सभागार में आयोजित कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि हमारे यहां पारंपरिक ज्ञान का भंडार है परन्तु आमजन को पेटेंट संबंधित कानूनों की जानकारी नहीं है।
उन्होंने बौद्धिक संपत्ति के अंतर्गत पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेड मार्क के बारे में कहा कि वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव को देखते हुये इन अधिकारों के बारे में सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चीन, अमेरिका और जापान में सबसे अधिक पेटेंट फाइल होते है जबकि भारत में यह संख्या काफी कम है।
कहा कि नये अनुसंधान व शोध को प्रोत्साहन देने के लिए विश्वविद्यालय पर्याप्त साधन उपलब्ध है। कार्यशाला में विशेषज्ञ पेटेंट डिजाइन और ट्रेडमार्क अटॉर्नी डॉ. लिपि कौंडिल्य ने बताया कि बौद्धिक संपदा के अंतर्गत व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा सृजित कोई रचना, संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज अथवा डिजाइन होती है जो उस व्यक्ति अथवा संस्था की बौद्धिक संपदा कहलाती है और इन कृतियों पर व्यक्ति अथवा संस्था को प्राप्त अधिकार बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाता है।
आईपीआर स्पीकर डॉ. मधुरंजन वत्स ने शिक्षाविदो के लिए पेटेंट का महत्व, बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए सरकार की ओर प्रोत्साहन नीति, कॉपीराईट एक्ट, पेटेंट दाखिल करने की भारतीय प्रक्रिया के विषय में प्रतिभागियों को जानकारी दी।
इस दौरान प्रतिभागियों के पूछे गये प्रश्नों का विशेषज्ञों ने जवाब दिया। महानिदेशक शैक्षणिक विकास डॉ. विजेन्द्र चौहान ने प्रतिभागियों से कार्यशाला का अधिक से अधिक लाभ लेने की बात कही। उन्होंने प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट प्रदान किये।
आईपीआर सेल के समन्वयक डॉ. योगेन्द्र सिंह ने बताया कि कार्यशाला में मेडिकल, मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, नर्सिंग, योग विज्ञान, बायोसाइंस, फार्मेसी फैकल्टी सहित 50 शोधार्थी शामिल हुये। कार्यशाला के समापन पर डॉ. भावना पाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।