141 सांसद निलंबित। सर्कुलर जारी, पढ़ें….
संसद के शीतकालीन सत्र से 141 सांसदों को सस्पेंड किए जाने के बाद अब लोकसभा सचिवालय ने एक सर्कुलर जारी किया है। निलंबित सांसदों के संसद कक्ष, लॉबी और गैलरी में प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई है। निलंबित सांसदों में 95 लोकसभा के और 46 राज्यसभा के हैं।
इससे पहले, राज्यसभा सांसद और तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की नकल उतारते देखा गया था. जिस पर धनखड़ ने अपनी नाराजगी भी जताई थी।
सर्कुलर के अनुसार, निलंबित सांसदों को संसदीय समितियों की बैठकों से सस्पेंड कर दिया गया है। कार्य सूची में उनके नाम पर कोई आइटम नहीं डाला जाएगा। साथ ही सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि निलंबन के दौरान इन सांसदों की तरफ से कोई भी नोटिस मंजूर नहीं किया जाएगा. इस दौरान वो समितियों के चुनाव में मतदान भी नहीं कर सकते।
जब तक निलंबित रहेंगे सांसद, तब तक नहीं मिलेगा दैनिक भत्ता
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये सब सांसद 13 दिसंबर को संसद में हुई सुरक्षा चूक पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की सफाई मांग रहे थे। इसके बाद, 19 दिसंबर को संसद में विपक्ष ने फिर से विरोध शुरू किया। गांधी प्रतिमा के नीचे सांसदों ने बैठकर नारेबाजी की।
सदन के अंदर भी ये हुआ तो तुरंत कार्यवाही स्थगित करने का आदेश आ गया। एक बार फिर से लोकसभा से कुल 49 सांसद बाहर कर दिए गए. इस तरह देश की संसद से विपक्ष के 141 सांसद सस्पेंड हो गए. इन पर आरोप है कि इन्होंने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी।
संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार एक बार फिर लोकसभा से 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित होने वाले सांसदों की संख्या बढ़कर 141 हो चुकी है।
एक दिन पहले ही सोमवार 78 सांसदों को निलंबित किया गया जो एक रिकॉर्ड है। पहली बार इतनी संख्या में सांसदों को निलंबित किया गया।
विपक्ष के इतने सांसदों के एक साथ निलंबन को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की मीटिंग से पहले कांग्रेस समेत तमाम दलों ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में फेंका जा रहा है।
वहीं सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने जो व्यवहार किया उससे पूरा देश शर्मिंदा है। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने ने कहा कि अध्यक्ष और सभापति दोनों का अपमान किया गया। अब ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्यों किया गया और संसद के नियम क्या कहते हैं।
क्यों हुई एक साथ इतने सांसदों पर कार्रवाई
संसद में सुरक्षा चूक और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर जारी हंगामे के कारण संसदीय कार्यवाही को बाधित करने के लिए दोनों सदनों के सांसदों को निलंबित किया गया। पीएम मोदी की संसद सुरक्षा चूक पर टिप्पणी के बावजूद विपक्ष के नेता अमित शाह से बयान की मांग पर अड़े रहे।
इस दौरान कुछ सांसदों ने तख्तियां लहराईं तो कई आसन की ओर बढ़े। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में ऐसा ही रहा। राज्यसभा में नारेबाजी हुई और कार्यवाही बाधित हुई जिसके बाद सांसदों को निलंबित किया गया।
सांसदों को कौन निलंबित करता है और कैसे
लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के स्पीकर निलंबन को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। लोकसभा अध्यक्ष संचालन नियमों के नियम 373, 374 और 374ए के अनुसार फैसला करते हैं।
राज्यसभा में सभापति नियमावली के नियम 255 और 256 के अनुसार कार्य करते हैं। दोनों सदनों की प्रक्रिया काफी हद तक समान है। यदि सभापति को लगता है कि किसी सदस्य का व्यवहार घोर अव्यवस्थापूर्ण है तो वो उसे राज्यसभा से चले जाने का निर्देश दे सकते हैं।
नियम 374 के तहत यदि लोकसभा स्पीकर को लगता है कि कोई सदस्य बार-बार सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहा है तो उसे बाकी बचे सेशन के लिए सस्पेंड कर सकता है।