ज़िन्दगी के किस्सों का क्रिएटिव रूप है विज्ञापन: सोनल
देहरादून। विज्ञापनों जगत में हंसाने, रुलाने, रिश्तों की संजीदगी से रूबरू कराने वाली जानी मानी हस्ती सोनल डबराल ने छात्रों के बीच अपनी ज़िन्दगी के खट्टे-मीठे पलों को साझा किया।
देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने छात्रों को चुनौतियों से लड़कर लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित किया।
सोमवार को देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में ‘जज़्बे को सलाम’ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों ने अपनी ज़िन्दगी के अनुभव साझा किये। इस दौरान ‘क्या स्वाद है ज़िन्दगी में’ के ज़रिये युवाओं की ज़िन्दगी में चॉकलेटी मिठास घोलने वाले विज्ञापन निर्माता सोनल डबराल भी उपस्थित रहे।
सोनल ने कई बड़े ब्रांड्स के शानदार विज्ञापनों का निर्माण कर पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई है। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर उन्होंने कहा कि विज्ञापन, आइडियाज़ यानी विचार से बनते हैं, और ये आइडियाज़ हमारी ज़िन्दगी के किस्से होते हैं, जिन्हें टारगेट ऑडियंस के आधार पर विज्ञापन के रूप में ढाला जाता है।
कार्यक्रम में उन्होंने अपने विज्ञापनों और उसके पीछे छुपे आइडिया के जन्म लेने के किस्सों से छात्रों को रूबरू करवाया साथ ही जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के छात्रों के साथ आइडियाज़ को डेवलप करने पर विचार विमर्श किया।
हाल ही में सोनल डबराल ने ट्विंकल खन्ना द्वारा लिखी पुस्तक पर आधारित ‘सलाम नोनी अप्पा’ फिल्म निर्देशित की है, जिसमें डिंपल कपाड़िया मुख्य भूमिका में हैं। वहीं कार्यक्रम में ब्लिट्ज मास मीडिया के दीपक द्विवेदी ने उपस्थित छात्रों से हर क्षेत्र का ज्ञान अर्जित करने की बात कही।
उन्होंने कहा कि, आज छात्रों के समक्ष भविष्य के कई दरवाज़े खुले हैं। लेकिन, जिस दिशा में भी छात्र आगे बढ़ें, चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार रहें तभी भविष्य सुनहरा बनेगा। वहीं, सीए सीएस गौरव ने कहा कि कष्टों से ही ज़िन्दगी निखरती है।
एक एक्सीडेंट ने उन्हें मजबूर नहीं बल्कि लड़कर खड़ा होना सिखाया और उन्होंने छात्रों में मुश्किल समय में भी डटकर खड़े होने का जज़्बा जगाया।
इस दौरान DIET नैनीताल की प्रधानाचार्य गीतिका, विश्वविद्यालय के डीन ऑफ़ ऐकडमिक अफेयर्स डॉ संदीप शर्मा, स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म एंड लिबरल आर्ट्स सहित मैनेजमेंट के छात्र एवं शिक्षक उपस्थित रहे।