तेज भूकंप के झटकों से हुए कई चमत्कार। इधर बंद पड़े नल से निकला जल, उधर पहाड़ी से निकलने लगा धुआं
- पहाड़ी के बीच से अचानक निकलने लगा धुआं, भू-वैज्ञानिक ने बताई हैरान करने वाली वजह।
रिपोर्ट- विशाल सक्सेना
गंगोत्री धाम में देवगाड के पास पहाड़ी के बीच से धुआं निकल रहा है। बीते शुक्रवार रात आए भूकंप के बाद ही यह धुआं दिख रहा है।
गंगोत्री धाम में देवगाड के पास पहाड़ी के बीच से धुआं निकल रहा है। धुआं निकलने का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।लोगों का कहना है कि बीते शुक्रवार रात आए भूकंप के बाद ही यह धुआं दिख रहा है।
इधर, वाडिया इंस्टीट्यूट से जुड़े रहे भू-वैज्ञानिक डॉ.सुशील कुमार का कहना है कि पहाड़ों में जमीन के नीचे गर्म पानी के स्रोत होते हैं।उन्होंने भूकंप के कारण दरार पड़ने से स्रोत से वाष्प के रूप में धुआं निकलने की बात कही।
बंद पड़े नल से निकलने लगा जल
भूकंप के बाद बंद पड़े नल से निकलने लगा पानी, लोगों ने माना चमत्कार। शुक्रवार रात नेपाल में आए भूकंप के झटको ने जहां एक ओर नेपाल में जमकर तबाही मचाई तो वहीं इसी भूकंप के झटको से उत्तर भारत के कई सीमावर्ती राज्यों में भी दहशत फैल गई।
दहशत का आलम यह था कि, लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। परंतु इन्हीं भूकंप के झटको ने एक ऐसे चमत्कार को अंजाम दिया है, जिसको देखने के लिए लोगों का मजमा लग गया।
घटना उत्तराखंड के जनपद उधम सिंह नगर के सीमावर्ती तहसील खटीमा की है। जहां के 17 मिल कंचनपुरी ग्रामीण क्षेत्र में सालों से खराब पड़े देसी मार्क नल से भूकंप के झटको के बाद खुदवा खुद पानी आने लगा है।
जहां आस-पास के लोग इस घटना को देखकर हैरान हो रहे हैं। तो वहीं इस चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग घटनास्थल पर पहुंचने लगे हैं। यही नहीं कुछ लोगों ने तो इस भूगर्भीय घटना को ईश्वरीय चमत्कार से भी जोड़ लिया है। जिसके चलते अपनी बीमारियों को दूर करने एवं परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए लोग इस नल से निकल रहे पानी को पी रहे हैं।
कुछ लोग तो इस पानी को अपने साथ बोतलों में भरकर अपने घर भी ले जा रहे हैं। आस-पास रहने वाले लोगों का कहना है कि, गत दिवस तड़के सुबह जब उन्होंने देखा तो वह भी हैरान रह गए कि, इस नल से अपने आप पानी निकल रहा है।
जबकि यह नल तो बीते लंबे समय से खराब पड़ा हुआ था। जिनकी हाल ही में मरम्मत भी कराई गई थी। परंतु फिर भी इस नल से पानी नहीं आया था और आज सुबह से ही यह नल बिना किसी के चलाएं खुद पानी दे रहा है।
क्षेत्रीय ग्रामीण लोगों के लिए यह घटना किसी अद्भुत चमत्कार से कम नहीं है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने वाले लोग इस घटना को भूगर्भीय हलचलों से जोड़कर देख रहे हैं।
इस घटना को चमत्कार मानने वाले कुछ लोग जहां इसे अल्लाह से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ लोग महादेव का चमत्कार बता रहे हैं। कारण चाहे जो भी हो परंतु यह घटना क्षेत्र में बड़े कौतुहल का विषय बनी हुई है।
नेपाल में भूकंप ने मचाई तबाही
नेपाल में शुक्रवार रात आए भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। यह भूकंप आठ साल में आया सबसे भीषण भूकंप है, जिसमें अब तक कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। भूकंप के बाद राहत और बचाव कर्मियों ने रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया।
नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, यह भूकंप शुक्रवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर आया है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मापी गई।
वहीं जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियो साइसेंज ने बताया कि, भूकंप की तीव्रता 5.7 थी, जबकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षम के अनुसार भूकंप की तीव्रता 5.6 थी। अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि, मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
जाजरकोट जिले के अधिकारी हरीश चंद्र शर्मा के मुताबिक, घायलों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि भूकंप की तीव्रता गंभीर नहीं थी, लेकिन क्षेत्र में निर्माण की खराब गुणवत्ता के कारण नुकसान और मरने वालों की संख्या अधिक होने की संभावना है।
भूकंप आने के समय लोग सो रहे थे। उन्होंने बताया कि, बचाव कार्य धीमा होने की आशंका है, क्योंकि आपातकालीन टीमों को कई स्थानों पर भूस्खलन से अवरुद्ध हुई सड़कों को साफ करना होगा। इससे पहले, 2015 में आए दो भूकंपों में करीब नौ हजार लोग मारे गए थे।
पूरा कस्बा, सदियों पुराना मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल तब मलबे में तब्दील हो गए थे। इसके साथ ही, 10 लाख से अधिक घर तबाह हो गए थे। अधिकारियों ने बताया कि, करनाली प्रांत के जाजरकोट में 99 लोग मारे गए, जबकि 55 लोग घायल हुए।
वहीं रुकुम पश्चिम जिले में 38 लोग मारे गए, जबकि 85 लोग घायल हुए भूकंप का केंद्र रमीडांडा गांव में था। अधिकारियों ने बताया कि, भूकंप से जाजरकोट में तीन कस्बे और तीन गांव बुरी तरह प्रभावित हुए, जिनकी आबादी एक लाख 90 हजार है।
भूकंप के झटके लगभग 600 किमी दूर नई दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में महसूस किए गए, जिससे इमारतें हिल गईं और लोगों को सड़क पर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसी तरह का नुकसान होने की खबर नहीं आई है।