बलियानाले में हो रहे भूस्खलन पर हाईकोर्ट ने सरकार को दिए महत्वपूर्ण निर्देश
रिपोर्ट- गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलियानाले में हो रहे भूस्खलन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से कहा है कि, नाले के ट्रीटमेंट के लिए 24 घण्टे के भीतर समाचार पत्रों व ई टेंडर निकालें।
मामले की अगली सुनवाई 22 नवम्बर की तिथि नियत की है। आज सुनवाई पर सरकार की तरफ से कहा कि, इसके लिए 206 करोड़ स्वीकृत हो गए है, उन्हें इसमे टेंडर निकालना है और उन्हें समय दिया जाय। जिस पर कोर्ट ने सरकार को टेंडर निकालने की राहत दी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि, इसके ट्रीटमेंट के लिए 2018 से अब तक 3 बार सर्वे हो चुका है। परन्तु ट्रीटमेंट नहीं हुआ। उनके इस तथ्य पर कोर्ट ने अगली तिथि को उनसे इसकी वर्तमान स्थिति से अवगत कराने को कहा है।
मामले के अनुसार नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैय्यद नदीम मून ने 2018 में उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा था कि, नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलियानाले में हो रहे भूस्खलन से नैनीताल व इसके आसपास रह रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है।
नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमे हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाय। ताकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके।
प्रेस वार्ता में मून ने कहा कि, नैनिताल को बचाना स्थानीय लोगो की जिम्मेदारी है। 2018 से इस पर शाशन व कार्यदायी संस्था ने स्थानीय लोगो के हितों का ध्यान नही दे रहा है। बरसात के समय यहां पर निवास कर रहे लोगो को अन्य जगह शिफ्ट किया जाता रहा है।
2018 में उनके द्वारा इसे बचाने के लिए जनहित याचिका दायर की गई, परन्तु सरकारों ने कोर्ट के आदेशों पर इसका सर्वे ही किया कार्य कम किया। 5 साल बीत जाने के बाद कुछ ही लोगो के लिए आवास बनाये गए।