दिव्यांग ट्रांसफर में संशोधन को लेकर मुख्यसचिव से मिली राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी
देहरादून। राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने स्थानांतरण अधिनियम में विकलांगता की परिभाषा में सुधार करने एवं विकलांग शिक्षकों के स्थानांतरण न किये जाने की मांग को लेकर मुख्यसचिव से मिले और उनके माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी प्रेषित किया है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के संयोजक शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा, अनिवार्य स्थानांतरण से विकलांग जन को छूट प्राप्त है। किन्तु इस अधिनियम में विकलांगता की परिभाषा त्रुटिपूर्ण है।
उत्तराखंड शासन और केंद्र सरकार दोनों की विकलांगता परिभाषा में हर जगह 40% या 40% से अधिक विकलागजन सम्मिलित है। इस त्रुटि से हाल ही में ऐसे बहुत से 40% विकलांगजन शिक्षकों के ट्रांसफर सुगम से दुर्गम स्थानों में कर दिया गया हैं जो विकलांगजनो के लिए सही नहीं है।
शिवप्रसाद सेमवाल ने मुख्य सचिव से मांग की है कि, वह 29 तारीख को होने वाली उच्च स्तरीय बैठक मे विकलांगजन के हितार्थ सम्बंधित विभागों को निर्देशित करें कि विकलांगता की परिभाषा को ठीक करते हुए 40% विकलांगता को जोड़ा जाए।
इसके अलावा जिन विकलांग शिक्षकों का 40% विकलांग होने के कारण सुगम से दुर्गम में ट्रान्सफर किया गया है उनके स्थानान्तरण रद्द किये जाएं।
राजेंद्र पंत ने बताया कि, वर्ष 2020 में शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा शासन को पत्र लिखे जाने के बावजूद यह संशोधन अभी तक लंबित है।
सुलोचना ईष्टवाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि, तत्काल एक्ट में इस त्रुटि को 15 दिन की समय सीमा के अंतर्गत संशोधित किया जाए, अन्यथा राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी दिव्यांगों के अधिकारों के लिए सड़कों पर आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएगी।