Y प्लस सिक्योरिटी मामले में जवाब-तलब सरकार, मांगे सभी के क्रिमिनल रिकॉर्ड
नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में विशिष्ठ लोगों को सुरक्षा देने के मामले में दायर जनहित याचिका में सभी महानुभावों के सुरक्षा गार्ड की संख्या, उन्हें हो रहे खतरे और इनके खिलाफ दर्ज मुकदमों के बारे में सरकार से जानकारी देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मंनोज तिवारी की खंडपीठ ने विधायक उमेश कुमार की वाई प्लस सुरक्षा और उन्हें जारी पुलिस गार्ड के बारे में पूछ लिया है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में हरिद्वार के खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा को वाई प्लस सुरक्षा दिए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शोभित सहारिया ने कहा कि खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि, ऐसे कितने लोगों को सुरक्षा प्रदान की गई है और जिनको शुरक्षा प्रदान की गई है ऐसे कितने लोग हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज है ? उनका पूरा रिकार्ड जुलाई दूसरे सप्ताह तक न्यायालय में प्रस्तुत करें।
इससे पहले भी न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा था कि पुलिस का कार्य जनता की सुरक्षा करना है, जिन लोगो को जानमाल का खतरा है जाँच करने के उपरांत ही उन्हें शुरक्षा दी जाय।
मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी 34 वर्षीय भगत सिंह ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि विधायकों की शुरक्षा के नाम पर उन्हें एक शुरक्षकर्मी दिया जाता है।
इसके अलावा यदि किसी विधायक को खतरा है तो उन्हें एक अतिरिक्त शुरक्षा कर्मी दिया जाता है। किसी विधायक को सुरक्षा कवर देने से पहले एल.आई.यू. रिपोर्ट विभाग को दी जाती है।
जबकि उन्होंने उमेश शर्मा के मामले का उदारहण देते हुए कहा है कि उन्हें सुरक्षा देते वक्त अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का पालन किए बिना ही उनके प्राथर्नापत्र के आधार पर वाई प्लस सुरक्षा प्रदान की गई है। यही नही उनके पास अपनी पर्सनल एस्कॉर्ट भी है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि, स्थानीय खुफिया इकाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, उनके जीवन को कोई खतरा नहीं है। इसलिए उनकी वाई प्लस शुरक्षा हटाई जाय। ऐसे ही कितने लोगों की शुरक्षा में पुलिस लगी है, जबकि उनको किसी से कोई खतरा नही है। पुलिस का दुरप्रयोग है। पुलिस का कार्य जनता की शुरक्षा करना है।