प्रधान व जिला पंचायत सदस्य बने मजदूर। जमकर डकार रजे मनरेगा की ध्याडी
रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल
पोखड़ा। यूँ तो पूरे पहाड़ में जनप्रतिनिधियों का पूरा डंका बज रहा है। चाहे कमीशन का खेल हो, चाहे कुछ और, जनप्रतिनिधियों अपनी झोली भरने में सबसे आगे रहते हैं, जो जनता इन्हें जनप्रतिनिधि बनाती है वो आज भी गरीबी के दल दल में है। नेता इसी जनता के टैक्स के पैसे से अपनी 15 पुस्तें सुधारने में लगे हैं। इनको जनता से प्यार तब आता है, जब चुनाव सिर पर होते हैं।
जी हाँ आज आपको हम जनपद पौड़ी गढ़वाल के पोखड़ा विकास खण्ड की कहानी सुना रहे हैं, जिसमे जनप्रतिनिधि मजदूर बनकर सरकार का लाखो रुपया सीधे-सीधे हड़प रहे हैं।
आपको हम जो डोकुमेंट दिखा रहे हैं, उनमें साफ़ नज़र आ रहा है कि, ग्राम प्रधान व जिला पंचायत सदस्य सभी मनरेगा तक के कार्यो में मजदूर बने हैं।
इस मामले में जब विकास खण्ड अधिकारी पोखड़ा से हमारी बात हुई तो उन्होंने बताया कि, ये जनप्रतिनिधि गरीब है, इनके जॉब कार्ड बने हैं। इसलिये ये मनरेगा में मजदूरी कर सकते हैं।
बात पते की ये है कि क्या पोखड़ा ब्लॉक के लिए सरकार की नियमावली अलग है केवल इसी ब्लॉक में जनप्रतिनिधि गरीब क्यो है
इस मामले में जब कुछ जनप्रतिनिधियों से हमने पूछा तो उनका कहना था कि, विभागीय कमीशन व अपनी कमीशन के लिए इस तरह से कार्य करना पड़ता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, सीमेंट सरिया आदि के बिलों में कमीशन के खातिर भी हमको फेर बदल करना पड़ता है।
अब आप ही बताए कि, यही है जीरो टॉलरेंस! जब से भाजपा सरकार बनी है, तब से कमीशन के रेट में भी उछाल आया है। पहले जिला पंचायत में 18 से 20 परसेंट कमीशन होता था अब 45 से 60 परसेंट कमीशन लिया जा रहा है।
यदि पूरी जांच की जाय तो जिला पंचायत, ग्राम पंचायत, विधायक निधि, आदि सबमे में बड़े घोटालों का खुलासा होगा।