गजब: NH-74 हाइवे पर बे लगाम दौड़ते ई-रिक्शा। टैम्पो नियम हुए गुल

NH-74 हाइवे पर बे लगाम दौड़ते ई-रिक्शा और टैम्पो नियम हुए गुल

रिपोर्ट- दिलीप अरोरा
किच्छा में त्योहारों के मद्देनजर कुछ दिन के लिए ही यातायात व्यवस्था सुधरी थी, जिसकी तारीफ भी बहुत हुई।पर काश ऐसी यातायात व्यवस्था रोज शहरवासियो को नसीब हो सके।

लेकिन इसके अलावा बात करे तो ज्यादतर यातायात व्यवस्था त्योहारों को छोड़कर चौपट ही नजर आती है। आखिर कौन-कौन है, इस बिगड़ती यातायात व्यवस्था का मुख्य दोषी। इसके लिए भी बहुत लोग जिम्मेदार है।

यातायात व्यवस्था को बिगाड़ने में सवारी वाहन प्रशासन और जनता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनते जा रहे है।
इनमे ई-रिक्शा भी कही से कही तक कोई कोर कसर छोड़ते नजर नहीं आ रहे है। यह भी कोई कम नहीं है। अगर हम पिछले दो वर्षो की बात करें तो क्षेत्र मे ई रिक्शा और टैम्पो की संख्या बहुत तेजी से बड़ी है।

यदि घटनाओ का अवलोकन किया जाये तो पिछले बहुत से भयानक हादसे और छोटे-मोटे हादसो मे कुछ इन्ही दोनों से हुए है। जिनमे बहुत से लोगो ने अपनी जान गवाई है।
इसकी मुख्य वजह है इनके चालकों का अच्छे से साक्षर न होना और इनमे यातायात नियमों की पूर्ण जानकारी का आभाव होना।

इसका जीता-जागता उदहारण हमेशा इनके गाड़ी चलाने के अंदाज से लगाया जा सकता है। यह हमेशा ड्राइवर सीट पर दो तीन लोगो को बैठाकर पुरे शहर भर घूमते रहते है। यही नहीं अब तो यह बैखोफ नैशनल हाइवे पर भी दौड़ रहे है और उत्तराखंड से यूपी तक का 20 किमी से ज्यादा का सफऱ तय कर रहे है।

इन सबके बावजूद सवाल यही है कि, आखिर कौन इसको संरक्षण दे रहा है, आखिर किसकी शह पर यह मौत हाइवे पर दौड़ रही है। इस पर यदि प्रशासन से बात की जाये तो प्रशासन इन पर कार्यवाही करते है, ऐसा बोलता है लेकिन फिर वही सवाल की कार्यवाही हो रही है तो धरातल पर इसका असर शून्य क्यों है।

क्या प्रशासन की कार्यवाही नकाफी साबित हो रही है या फिर प्रशासन का ख़ौफ़ खत्म हो रहा है या फिर कार्यवाही महज एक दिखावा है। यदि अगर भविष्य मे कोई भी दुर्घटना इनकी वजह से हुई तो इसका जिम्मेदार क्या प्रशासन होगा?

क्योंकि जिस NH-74 से होते हुए यह लोग उत्तरप्रदेश मे प्रवेश करते है, उसी हाइवे पर पुलभट्टा थाना भी है और आर.टी.ओ चौकी भी और साथ ही सेल टैक्स का ऑफिस भी, ऐसा सम्भव नहीं कि, यह लोगो की नजर इन पर ना पड़ती हो।

यदि यह ई रिक्शा और टैम्पो ऐसे ही बैखोफ दौड़ेंगे तो इसमें कोई संदेह नहीं कि, इनका इस्तेमाल नशे के सौदागर ना करे। यही नहीं जिस प्रकार से इन दोनों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है, तो वही प्रशासन ने भी इनके सत्यापन के लिए कोई बहुत बड़ी कार्यवाही भी नहीं की है।

जानकारी के अनुसार इनमे बहुत से ऐसे है जो पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश के है। इनका रिकॉर्ड भी प्रशासन के पास नहीं है। यदि इनके द्वारा कोई हादसे को अंजाम दिया जाता है तो पुलिस के लिए भी सबसे पहले यही लोग सर दर्द बनेंगे।

यही नहीं पुलिस भी अच्छे से जानती है कि, इन दोनों की वजह से यातायात व्यवस्था बिगड़ती है। दरअसल, इनकी संख्या पर लगाम लगाने के साथ ई-रिक्शा का रूट भी तय होना बेहद जरुरी है।

हम अपनी इस खबर को जनहित के उद्देश्य से अधिकारियों तक पहुंचाने की एक कोशिश मात्र ही कर रहे है। अब कार्यवाही कौन, कब और किस प्रकार से करेगा यह देखना होगा या फिर यह मौत ऐसे ही हाइवे पर लोगो को अपना शिकार बनाने के उद्देश्य से घूमती रहेगी। इन ई रिक्शा पर हाइवे पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है।