हाईकोर्ट के आदेश। हर तीन वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के लिए सर्वे करे सरकार
उत्तराखंड उच्च न्यायलय ने एक पर्यावरण संरक्षण संबंधी जनहित याचिका में मुख्य सचिव से पर्यावरण संरक्षण के लिए हर तीन वर्षों में जमीनी हकीकत नापने के लिए कहा है।
न्यायालय ने ये भी कहा कि, सकरकर बताए कि उसने कितने समय में क्या कदम उठाये? मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होनी तय हुई है।
अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि, उच्च न्यायालय ने देहरादून के समाज सेवी अजय नारायण शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया है।
आदेश में मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि, वह हर तीन वर्षों में उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण की जमीनी हकीकत बयां करती एक विस्तृत रिपोर्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया से बनवाएं।
उसमें जल, जंगल और जमीन के साथ-साथ वायु की स्तिथि और पूरे पर्यावरणीय दृष्टिकोण का बखान किया जाए। न्यायालय ने यह भी कहा है कि, देहरादून, नैनीताल समेत सभी शहरों की ऐसी रिपोर्ट अलग से हर दो वर्ष में तैयार की जाए, ताकि अनियंत्रित शहरी विकास को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित किया जा सके।
सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी देहरादून आर.राजेश कुमार, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष ब्रजेश कुमार संत, नगर आयुक्त देहरादून अभिषेक रोहिल्ला और सचिव राजस्व पुरुषोत्तम व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे।
इस दौरान, जिलाधिकारी देहरादून को न्यायालय ने 14 दिसंबर तक एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। जिसमें अतिक्रमण सम्बन्धी शिकायतों की कितनी पत्रावली उनके दफ्तर में एक वर्ष में मिली है और उन्होंने उस पर क्या कार्यवाही की है। मामले की अगली तारीक 15 दिसंबर 2021 को नियत की गयी है।