लाइब्रेरी घोटाले में रिकार्ड पेश करे सरकार
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार में वर्ष 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में जनहित याचिका को सुनते हुए राज्य सरकार से पुस्तकालय के टेंडर से लेकर अब तक का पूरा रिकार्ड पेश करने को कहा है।
न्यायालय ने कहा है कि, अगर राज्य सरकार रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराती है, तो मामले की सी.बी.आई जाँच करायी जाएगी।
मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट ने बताया कि, 12 में से 10 बने पुस्तकालय मंदिरों और मंत्री मदन कौशिक के वर्करों के घरों में बनाए गए हैं, जो अभी चालू हालत में नही हैं।
इनमें से 5 पुस्तकालय पर कब्जा नहीं लिया जा सकता, क्योंकि वे घरों में बने हैं। इसका संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने सारा रिकॉर्ड तलब कर लिया है।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि, वर्ष 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक ने विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था।
पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दिया। लेकिन आजतक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया।
इससे स्पष्ट होता है कि, विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि, पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सी.डी.ओ.की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई।
जिससे स्पष्ट होता है कि, अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है। लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सी.बी.आई.जांच करवाई जाए।