निलंबित हुए कुलसचिव पर कसा शासन का शिकंजा
हाल ही में निलंबित हुए कुलसचिव पर शासन का शिकंजा कसता जा रहा है। कुलसचिव पर जांच को तेज कर दिया गया है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, कुलसचिव जल्द ही सलाखों के पीछे हो सकता है।
उत्तराखंड प्रदेश के निर्माण काल से ही बाहरी राज्यों के नौकरशाहों द्वारा इस नवगठित प्रदेश को भ्रष्ट राजनैतिक व्यक्तियों से गठजोड़ करते हुये लूटने खसोटने का कार्य किया जा रहा है।
इस पर समय-समय पर आम जनता द्वारा आंदोलनों के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का कार्य किया जाता रहा है, परन्तु भ्रष्ट नौकरशाहों के गठजोड़ के कारण स्थानीय जनता की आवाज़ भी दबती रही है।
ऐसे ही भ्रष्ट कारनामो के चर्चित जी.बी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, घुडदौड़ी पौड़ी गढ़वाल में पूर्व में उपकरणों कंप्यूटर, प्रिंटर आदि की आपूर्ति करने वाले सप्लायर संदीप कुमार की फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर पहले ट्रेनिंग प्लेसमेंट अधिकारी के पद पर नियुक्ति की गयी और उसके उपरांत पुनः इंस्टिट्यूट के महत्वपूर्ण पद कुलसचिव पर नियुक्ति कर दी गयी, जबकि संदीप कुमार की शैक्षिक अहर्ता मात्र हाई स्कूल पास एवं त्रिवर्षीय डिप्लोमा है।
इस सम्बन्ध में पूर्व में विभिन्न माध्यमों से शासन स्तर पर प्राप्त शिकायतों की प्रारंभिक जांच आयुक्त गढ़वाल मंडल से करवाई गयी और आयुक्त गढ़वाल की प्रारंभिक जांच को शासन द्वारा पुनः अपर सचिव तकनिकी शिक्षा से जांच करवाई गयी, जिसमें संदीप कुमार की नियुक्ति को अवैध माना गया है।
लेकिन फिर भी भ्रष्ट नौकरशाहों की शह पर संदीप कुमार वर्ष 2006 में शासन स्तर से पद सृजित न होने के बावजूद ट्रेनिंग प्लेसमेंट अधिकारी के पद पर नियुक्ति प्राप्त कर लेता है, जबकि कॉलेज हेतु उक्त पद का सृजन वर्ष 2008 में किया गया है।
उक्त नियमित पद के सृजन के उपरांत आज दिनांक तक साक्षात्कार की प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी। इसके उपरांत पुनः उक्त पद पर हुई अवैध नियुक्ति के अनुभव के आधार पर वर्ष 2019 में संदीप कुमार द्वारा अपने शैक्षिक दस्तावेज़ों में छेड़-छाड़ करते हुए एक ही वर्ष 2008 में बी.सी.ए, एम.सी.ए की डिग्री, जाली प्रमाण पत्रों के आधार पर अपनी नियुक्ति कुलसचिव के पद पर करा ली गयी।
इस सम्बन्ध में पुनः शासन स्तर पर शिकायतें प्राप्त होने के उपरान्त अध्यक्ष प्रशासकीय परिषद् द्वारा तत्समय नियुक्ति पर प्रतिबन्ध लगाया गया था एवं शासन स्तर पर नियुक्ति की जाँच हेतु निर्देश दिए गए थे।
जबकि उक्त जांच नियमानुसार ना करवाकर एक वर्ष के उपरांत संदीप कुमार द्वारा अपने स्तर से ही कॉलेज में कार्यरत कुछ शिक्षकों की एक कमेटी बनाकर जांच रिपोर्ट अपने हित में तैयार करवाकर कुलसचिव के पद पर अवैध रूप से नियुक्ति प्राप्त कर ली गयी।
इस सम्बन्ध में कॉलेज में संदीप कुमार द्वारा किये गए भ्रष्टाचारो की विस्तृत दस्तावेज़ों के आधार पर मुख्यमंत्री व उत्तराखंड शासन से कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा लिखित शिकायत की गयी।
जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा तत्काल निर्णय लेते हुये संदीप कुमार को निलंबित करते हुये विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए हैं, ताकि भविष्य में जाली शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति प्राप्त संदीप कुमार को बर्खास्त करते हुये धोखाधड़ी/गबन के आरोप में सलाखों के पीछे किया जा सके।