वन गुजरों के लिये आवास व खाने-पीने की सुविधा के सरकार को निर्देश
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तरकाशी और प्रदेश के अन्य वनों में रह रहे वनगुर्जरों को वनों से हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। न्यायालय ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की तिथि नियत की है।
इससे पूर्व में न्यायालय ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी और सरकार को निर्देश दिये थे कि, वनगूर्जरों के लिये आवास व खाने-पीने की सुविधा के साथ-साथ उनके मवेशियों के लिये भी चारे की व्यवस्था करे और सरकार उनके विस्थापन के लिए दोबारा से एक कमेटी का गठन कर उसकी रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने को कहा था।
आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
मामले के अनुसार थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन के सदस्य अर्जुन कसाना की ओर से इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि, उत्तरकाशी जनपद में लगभग 150 वनगुजरों व उनके मवेशियों को गोविन्द पशु विहार राष्ट्रीय पार्क में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।
वनर्गूजर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। मवेशी भूख से मर रहे हैं। कोर्ट ने पूर्व में इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए उत्तरकाशी के जिलाधिकारी व उद्यान उप निदेशक कोमल सिंह को निर्देश दिये थे कि, वह सभी वनगूर्जरों के लिये आवास, खाने-पीने के साथ ही दवाई की व्यवस्था करे और उनके मवेशियों के लिये भी चारे की व्यवस्था कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा था।
याचिकर्ता का यह भी कहना है कि, उत्तराखंड के जंगलों में लगभग 10 हजार से अधिक वन गुर्जर पिछले 150 साल से निवास करते आये है, अब सरकार उनको वनों से हटा रही है। जिसके कारण उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है और उनको अपने हकहकूकों से भी वंचित होना पड़ रहा है। उनको वनों से विस्थापित नही किया जाये।