जंगल सफारी के लिए खुला चीला रेंज का अंधेर ट्रैक। होंगे यह नियम….
राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज की अंधेर ट्रैक को जंगल सफारी के लिए साल के बारह महीने के लिए खोल दिया गया है। प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है।
पार्क प्रशासन ने बुधवार को इस ट्रैक पर जंगल सफारी शुरू कर दी। बाकी रेंजों में पहले वाले ही नियम के अनुसार ही जंगल सफारी होगी।
राजाजी टाइगर रिजर्व हाथी, बाघ, गुलदार और हिरन की कई प्रजातियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसीलिए हर साल यहां की चीला, मोतीचूर, रानीपुर और हरिद्वार रेंज में बड़ी संख्या में देशी और विदेशी सैलानी जंगल सफारी करने के लिए आते हैं।
चीला रेंज पर्यटकों की सबसे पसंदीदा है। यह रेंज हाथी बाहुल्य के लिए जानी जाती है। बरसात के मौसम में पार्क के गेट पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन ने चीला रेंज के अंधेर ट्रैक को साल के बारह महीने खोलने का निर्णय लिया।
बुधवार को अंधेर ट्रैक पर जंगल सफारी का उद्घाटन जिला पंचायत सदस्य आरती गौड़ और रेंजर अनिल पैन्यूली ने किया। रेंजर अनिल पैन्यूली ने बताया कि, कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए जंगल सफारी कराने के निर्देश जिप्सी चालकों और कर्मचारियों को दिए गए हैं।
रेंजर अनिल पैन्यूली ने बताया कि अंधेर ट्रैक 24 किलोमीटर का है। इसमें चाहे सैलानी राउंड में जंगल सफारी कर लें या फिर 12 किलोमीटर जाकर वापस आ सकते हैं।
ट्रैक पर सफारी करने के लिए अधिकतम दो घंटे का समय तय किया गया है। जंगल सफारी के लिए प्रति जिप्सी का किराया 1,750 रुपये निर्धारित किया गया है।
वाहन का एंट्री शुल्क 250 रुपये और प्रति व्यक्ति 150 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। एक जिप्सी में अधिकतम सात लोग जंगल सफारी के लिए जा सकते हैं। सुबह को 06:30 से 09:30 बजे तक और शाम को 02:30 से 04:00 बजे तक दो शिफ्ट में जंगल सफारी की जा सकती है।
घना जंगल होने से पड़ा यह नाम
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, इस वन बीट का नाम अंधेर है। इसी से ट्रैक का नाम अंधेर है। बताया जाता है कि, पहले यहां इतना घना जंगल था कि, दिन में भी अंधेरा होता था। आज भी यहां घना जंगल है। माना जा रहा है कि, इसीलिए इसका नाम अंधेर बीट रखा होगा।