बीआरओ की लापरवाही, ग्रामीणों की जान पर पड़ी भारी। बीमारियों को खुली दावत
रिपोर्ट- गिरीश चंदोला
थराली। कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिमलसैंण में बन रहे मोटरपुल के निर्माण के दौरान उड़ रही धूल इन दिनों परेशानी का सबब बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि, बीआरओ के आला अधिकारियों को अवगत भी कराया गया है। लेकिन बीआरओ के आला अधिकारी अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं।
वहीं उड़ रही धूल से बीमारियों का खतरा बढ़ने का भय बना हुआ है। बीआरओ द्वारा इस पुल के निर्माण का कॉन्ट्रेक्ट किसी प्राइवेट कम्पनी को दिया गया है। इसके साथ ही जिस स्थान पर पुल बन रहा है, वहां से पुराने पुल को हटाकर बीआरओ द्वारा फिलहाल वैकल्पिक तौर पर वैली ब्रिज लगाया गया है। लेकिन वैलिब्रिज के 100 मीटर के दायरे में डामरीकरण का कार्य भी बीआरओ द्वारा पुल बनने तक के लिए छोड़ा गया है। ऐसे में वैलिब्रिज से वाहनों की आवाजाही के समय उड़ती धूल से स्थानीय लोगों को बीमारियों का खतरा बना हुआ है। एक ओर जहां कोरोन काल चल रहा है, कोरोना संक्रमितों को ऑक्सिजन के लिए जुझना पड़ रहा है, वहीं पुल निर्माणदायी संस्था इस उड़ती धूल पर पानी का छिड़काव करने की बजाय बीमारियों को दावत दी रही है।
वही सिमलसैण के ग्रामीणों हरीश चंदोला, लक्ष्मी प्रसाद, नवीन चंदोला, मुकेश, लछु चंदोला, लक्ष्मण नेगी, एजाज, सुरेश चंदोला, दयाकृष्ण चंदोला संदीप रावत आदि का आरोप है कि, बीआरओ के द्वारा सड़क कटिंग के दौरान उनके खेतो को भी नुकसान पहुँचा है। बीआओ ने अभी तक सड़क कटिंग के बावजूद भी खेतों पर दीवारें नहीं दी गई हैं। जिससे आए दिन भूस्खलन होने से ग्रामीणों की कृषि भूमि को नुकसान पहुंच रहा है।
हालांकि मामले में उपजिलाधिकारी थराली सुधीर कुमार ने बताया कि, निर्माणस्थल पर नियमित तौर पर पानी का छिड़काव करने के लिए कार्यदायी संस्था को कहा गया है। जिस पर एक दो दिन में टैंकर लगाने की बात कार्यदायी एजेंसी ने कही है।