प्रदेश में वैक्सीनेशन के लिए 1 करोड़ 20 लाख डोज की जरूरत। अब तक महज 6 लाख 79 हजार को ही लगी वैक्सीन
– गुणानंद जखमोला
देहरादून। देश और प्रदेश कोरोना से जंग लड़ रहा है। उत्तराखंड में 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के 50 लाख लोगों का वैक्सीनेशन होना है। सरकार के अनुसार प्रदेश में 50 लाख लोगों को वैक्सीन लगनी है। वैक्सीन की दो डोज लगनी हैं। इस आधार पर एक करोड़ डोज युवाओं के वैक्सीनेशन के लिए चाहिए जबकि 19 लाख लोगों को दूसरी डोज भी लगनी हे। यानी कुल एक करोड़ 20 लाख डोज की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 15 मई तक 45 से ऊपर आयुवर्ग के महज 6 लाख 79 हजार 782 लोगों को ही वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं। जिन लोगों को पहली डोज लगी है उनकी संख्या 19 लाख 22 हजार है। 18 प्लस के एक लाख 7085 लोगों को वैक्सीन लगी हेै।
अब यदि सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलेगा कि, सात लाख लोगों को दोनो डोज लगी हैं और 19 लाख को एक डोज मिल चुकी हे। इस आधार पर मान लिया जाएं कि हर्ड इम्युनिटी के लिए प्रदेश के 50 लाख लोगों में से 40 लाख को भी वैक्सीन लगाई जाती है तो इसके लिए सीधे तौर पर हमें 80 लाख वैक्सीन की जरूरत है। इसमें से लगभग 7 लाख को दोनों डोज लग चुकी हैं तो भी 66 लाख वैक्सीन की जरूरत होगी।
मार्च से लेकर आज तक हमने केवल सात लाख को ही दोनों डोज वैक्सीन किया है तो यह काफी धीमा है और चिन्तनीय है। यदि मौजूदा गति से वैक्सीनेशन हुआ तो प्रदेश में 70 प्रतिशत हर्ड इम्युनिटी के लिए भी कम से कम 6 माह लग सकते हैं। तब तक तो कोरोना काल बन चुका होगा। वैज्ञानिकों ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर की भी चेतावनी है। हमारा राज्य छोटा सा है, लेकिन पाजिटिविटी रेट के मामले में हम देश में सातवें स्थान पर हैं। इसके बावजूद हमें वैक्सीन पर्याप्त नहीं मिल रही हैं। हमें टीकाकरण अभियान तेज करना होगा वरना प्रदेश में महामारी और फैलेगी।
अब वैक्सीन आपूर्ति की बात। देश में मौजूदा समय में तीन वैक्सीन उपलब्ध हैं। कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी। सीरम इंस्टीट्यूट हर महीने कोविशील्ड की 5 करोड़ वैक्सीन बना सकता है। भारत बायोटेक की क्षमता दो करोड़ वैक्सीन प्रति माह है तो स्पूतनिक वी एक करोड़ 20 लाख। देश की जनसंख्या 135 करोड़ है। ऐसे में पूरे देश में कब तक वैक्सीनेशन होगा यह सोचनीय बात है।
उत्तराखंड में वैक्सीन की किल्लत है। आपातकाल में जनता की रक्षा और इलाज करना सरकार का दायित्व है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम वैक्सीनेशन के लिए महज केंद्र सरकार पर आश्रित रहेंगे। बंटवारे में उत्तराखंड के हिस्से में मांग की तुलना में बहुत कम वैक्सीन आएंगी। ऐसे में सरकार को विकल्प तलाशना होगा। गांवों तक कोरोना कहर बनकर पहुंच चुका है। यदि वैक्सीनेशन में तेजी नहीं लायी जाती है तो प्रदेश की जनता को इसका खमियाजा भुगतना होगा।
प्रदेश सरकार ने ग्लोबल टेंडर जारी कर दिये हैं। लेकिन महज 20 लाख डोज का टेंडर है। वह भी दो महीने में आपूर्ति करने की शर्त है। ग्लोबल टेंडर पर विस्तार से अगली पोस्ट पर लिखूंगा। इस आधार पर भी लोगों को पहली डोज के लिए ही अगले दो महीने से भी अधिक समय का इंतजार करना पड़ सकता है। तब तक कोरोना का कहर जारी रह सकता है। यानी जनता को अपना बचाव खुद ही करना होगा।