सराहनीय पहल: कोरोना काल में निजी अस्पताल बने मरीजों के हमदर्द

कोरोना काल में निजी अस्पताल बने मरीजों के हमदर्द

रिपोर्ट- सलमान मलिक
रुड़की। कोरोना की बढ़ती रफ्तार में जंहा एक ओर लोग दहशत में है और अपने घरों में कैद हो गए हैं, तो वही भगवान के रूप में डॉक्टरों की अहम भूमिका की तस्वीरे देश के कौन-कौन से निकल कर आ रही है। सरकारी अस्पतालों में तो कोरोना का इलाज किया जा रहा है तो वही निजी अस्पताल के डॉक्टर मरीजो को भर्ती करने से घबरा रहे हैं। वही इस महामारी में कुछ ऐसे डॉक्टर और समाजसेवी है जो निःस्वार्थ मरीजो की देख-रेख में लगे हुए हैं और मरीजों के लिए अपने खर्चे से खानपान का भी इंतेजाम कर रहे हैं।

आपको बता दें कि, मैक्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर सर्वेश दूबे एमएस जर्नल सर्जन हैं, जो अपने अस्पताल में मरीजों का उपचार 24 घण्टे कर रहे हैं। उनका कहना है कि, वो मरीजों में इतने व्यस्त हैं कि, वो अपने परिवार के लिए टाइम भी नहीं निकाल पा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि डॉक्टर ही इस भयानक बीमारी से घबराकर अपने घर बैठ जाएंगे तो मरीजों का उपचार कौन करेगा और डॉक्टरों पर ईश्वर की कृपा हैं इसलिए वो मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।

वही आयुष नर्सिंग होम के डायरेक्टर मोहम्मद रजभ रमजान के महीने में रोजा होने के बाद भी मरीजों की खिदमत में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि, इस्लाम धर्म में रमजान के पाक महीने में लोगों के मदद करने का हर मुस्लिम का फर्ज होता है। इस महीने में खिदमत करने से नेक काम करने से पुण्य हासिल होता है तो इसलिए हम सब मिलकर बिना किसी मजहब धर्म को देखते हुए सभी लोगों की खिदमत में लगे हुए हैं। यदि किसी मरीज पर इलाज के लिए पैसे नहीं है तो उसका फ्री इलाज भी किया जा रहा है और अपने निजी स्तर से खाने पीने तक का सामान भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

वही डॉक्टर एस के सैनी भी आयुष नर्सिंग होम में अपनी सेवा दे रहे हैं। उनका कहना है कि, ऐसी भयानक बीमारी में तमाम अस्पतालो को मरीजों की खास तौर से मदद करनी चाहिए। ताकि इस भयानक बीमारी से हमारे देश को जल्द ही मुक्ति मिल सके। वही रुड़की क्षेत्र के निजी अस्पताल इस भयानक बीमारी में लोगों के लिए हम दर्द साबित हो रहे हैं।