कोरोना काल में विक्षिप्त महिला की बचाई जान
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कोरोना के काल में आज हर कोई अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। क्योंकि जब कोरोना महामारी के कारण किसी की मौत हो रही है, तो उसको चार कंधे भी नसीब नहीं हो रहे हैं और ऐसा लगता है कि, मानवता ही खत्म हो रही है। मगर उसके बावजूद भी कई लोग मानवता के कार्य को बखूबी निभा रहे हैं। ऐसा ही हरिद्वार में एक मामला सामने आया जब एक विक्षिप्त महिला देर बात एक कॉलोनी में आ गई और कॉलोनी में घूम रहे आवारा कुत्तों ने महिला पर हमला कर दिया। कॉलोनी वासियों द्वारा आवारा कुत्तों से महिला को बचाया गया और खुद आगे आकर महिला को अस्पताल में भर्ती कराया।
कॉलोनी निवासियों का कहना है कि, दोपहर से ही विक्षिप्त महिला कॉलोनी में घूम रही थी इसकी सूचना हमारे द्वारा स्वास्थ्य विभाग को दी गई। उनके द्वारा एंबुलेंस को भेजा गया मगर कोरोना महामारी को देखते हुए किसी ने भी महिला को हाथ नहीं लगाया और एंबुलेंस भी महिला को लेकर नहीं गई। महिला कॉलोनी में ही घूमती रही मगर रात का समय होने के कारण कॉलोनी में आवारा कुत्तों द्वारा महिला पर हमला किया गया। महिला की सुरक्षा को देखते हुए हमारे द्वारा दरिद्र नारायण वंदना ट्रस्ट की अध्यक्षा वंदना गुप्ता को इसकी सूचना दी गई। वह तुरंत मौके पर आई उनके द्वारा पुलिस और 108 को मौके पर बुलाया गया और महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। हम वंदना गुप्ता और एंबुलेंस वाले का धन्यवाद करते हैं जिनके द्वारा महिला को निशुल्क हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
कोरोना काल मे देखने को मिल रहा है कि, पड़ोस में रहने वाले भी अपने पड़ोसी की मदद नहीं कर रहे हैं। मगर इस मामले ने एक मानवता की मिसाल पेश की है। विक्षिप्त महिला की जिंदगी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दरिद्र नारायण वंदना ट्रस्ट के अध्यक्ष वंदना गुप्ता का कहना है कि, कनखल थाना क्षेत्र के जगजीतपुर में फुटबॉल ग्राउंड की एक कॉलोनी में एक विक्षिप्त महिला घूम रही थी कॉलोनी वासियों द्वारा पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दी गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस और एंबुलेंस वाले महिला को लेकर नहीं गए। इसकी सूचना मुझे दी गई, मैं अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंची। कॉलोनी मैं घूम रहे आवारा कुत्तों से महिला को खतरा था। मेरे द्वारा पुलिस और एंबुलेंस वालों को इसकी सूचना दी गई। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस और एंबुलेंस के माध्यम से महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनका कहना है कि, सरकारी एंबुलेंस द्वारा कोई पैसा नहीं लिया गया। मगर प्राइवेट एंबुलेंस वाले काफी चार्ज वसूल कर रहे हैं और एक मामला भी देखने को मिला जब एक मृत व्यक्ति को श्मशान घाट पहुंचाने के लिए 80 हजार रुपए की डिमांड की गई थी, मगर 108 द्वारा ऐसी कोई डिमांड नहीं की गई।
कोरोना के काल में आज हर कोई अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। क्योंकि इस महामारी के कारण अपने भी अपनों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। मगर हरिद्वार में एक विक्षिप्त महिला की मदद कर और उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, नहीं तो महिला की जान भी जा सकती थी। यह मानवता की एक मिसाल भी है कि, कोरोना महामारी में भी लोग सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक दूसरे की मदद भी कर सकते हैं।