पुलिसकर्मियों के एसीपी मामले पर मुखर हुआ मोर्चा। भेजा कमेटी को पत्र
– सरकार द्वारा अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में की गई है कमेटी गठित
– एमएसीपीएस में 2400-2800-4200 का था प्रावधान।
विकासनगर। सरकार द्वारा पुलिसकर्मियों के एसीपी मामले में गठित कमेटी (जैसा कि मा. मुख्यमंत्री द्वारा ट्वीट कर कहा गया) के अध्यक्ष/अपर मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग तथा सदस्यगणों सचिव, वित्त व पुलिस महानिदेशक को पत्र प्रेषित कर पुलिस कर्मियों के एसीपी मामले में खामियों को दूर कर उनको समुचित लाभ प्रदान किए जाने का जन संघर्ष मोर्चा आग्रह किया है।
राज्य सेवा संवर्ग में 2800 ग्रेड पे का पद सृजित नहीं, तो मिले 4600 का लाभ !
मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने गुरुवार को एक वार्ता के दौरान बताया कि, पुलिस विभाग में कार्यरत जवानों को एसीपी मामले की विसंगति एवं उसके तकनीकी कारणों के चलते भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। यहां तक की पुलिस कर्मियों का मनोबल एवं उनकी कार्यशैली पर भी निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन योजना (एमएसीपीएस) 2017 के आधार पर 10,20,30 वर्ष की संतोषजनक सेवा के आधार पर प्रोन्नयन व्यवस्था की गई है, जिसके आधार पर 2400-2800- 4200 ग्रेड पे फिक्स किया गया है , इसमें 4200 के स्थान पर 4600 संशोधित किया गया।
सहायक उप निरीक्षक का पद ढांचे में नहीं, तो मिलना चाहिए उप निरीक्षक के पद पर लाभ !
नेगी ने यह भी बताया कि, पुलिस विभाग में 2800 ग्रेड पे यानी सहायक उप निरीक्षक का पद सृजित न होने के कारण अगले पद पर यानी उप निरीक्षक के पद पर पदोन्नयन किया जाना चाहिए, जिसका ग्रेड पे 4200 (अब 4600) सुनिश्चित है। वित्त विभाग ने भी दिनांक 04/05/2018 को इस मामले को परिभाषित किया है। इसके साथ-साथ पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय द्वारा भी वर्ष 2013 में प्रमुख सचिव, गृह को प्रेषित पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है।
वित्त विभाग ने कहा कि “जहां संवर्ग के ढांचे में पदोन्नति के पद उपलब्ध नहीं हैं वहां धारित वेतनमान से अगला वेतनमान एसीपी के रूप देय होगा” यानी उप निरीक्षक का ग्रेड पे मिलेगा। इस मामले में पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय द्वारा प्रमुख सचिव गृह को प्रेषित पत्र में भी उल्लेख किया गया कि, सहायक उप निरीक्षक का पद संवर्गीय ढांचे में नहीं है।
मोर्चा पुलिस कर्मियों को उनका हक दिलाकर ही दम लेगा, चाहे हमें कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।