रिपोर्ट/वंदना गुप्ता
धर्मनगरी हरिद्वार में होटल व्यवसाय से जुड़े कर्मचारी आंदोलन की राह पर है पहले ही कोरोना महामारी ने उनकी कमर तोड़ दी और उसके बाद होटल व्यवसायियों की मनमानी के चलते उनको सड़कों पर आना पड़ रहा है| क्योंकि कोरोना महामारी के वक्त काफी कर्मचारी अपने घर चले गए थे |मगर वापस आने पर उनको होटल व्यवसायियों द्वारा काम नहीं दिया गया|
साथ ही जो कर्मचारी कार्य कर रहे थे उनका भी वेतन पूरा नहीं दिया गया और उनको नौकरी से निकालने की भी धमकी होटल व्यवसायियों द्वारा दी जा रही है| इसको लेकर होटल कर्मचारियों में आक्रोश है|
कोरोना महामारी को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी से अपील की थी| जिनके भी यहां कर्मचारी कार्य करते है उनका वेतन ना काटा जाए| मगर धर्मनगरी हरिद्वार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का भी कोई असर नहीं हुआ,क्योंकि यहां के होटल व्यवसाई अपनी मनमानी कर रहे है| इसको लेकर होटल कर्मचारियों में आक्रोश उत्पन्न हो रहा है होटल कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया| होटल कर्मचारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि, कोरोना महामारी के वक्त लगे लॉकडाउन में सुप्रीम कोर्ट और देश के प्रधानमंत्री ने निर्देश दिए थे| किसी भी कर्मचारी का वेतन ना काटा जाए, मगर कर्मचारियों का वेतन भी काटा जा रहा है और उन्हें छुट्टियां भी नहीं दी जा रही है और कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की धमकी भी दी जा रही है| इनका कहना है कि, उत्तराखंड पर्यटन स्थल है और यहां पर भारी संख्या में कर्मचारी कार्य करते है मगर कोरोना कॉल में घर गए कर्मचारियों को नौकरी भी नहीं दी जा रही है| इसको लेकर कर्मचारी सड़कों पर है|
कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा कर्मचारियों पर प्रभाव डाला है क्योंकि उनको अपना कार्य करने का पूरा वेतन भी नहीं मिला है और साथ ही जो कर्मचारी अपने घर चले गए थे उनमें से काफी कर्मचारियों को काम भी नहीं मिल पाया है | इसको लेकर हरिद्वार होटल कर्मचारी अब सड़कों पर है और उनके द्वारा मांग की गई है कि, सरकार उनका वेतन पूरा दिलवाए और साथ ही जिन कर्मचारियों की नौकरियां चली गई है, उनको नौकरी भी दिलवाई जाए|