आसन वैट लैंड, आसन नदी व वायुमंडल में फैला जहर। प्लांट के जहरीले धुएं से हो रही है पक्षियों की मौत
– पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए पी जे कलाम ने राष्ट्र को समर्पित किया था आसन वैट लैंड
– प्लांट के जहरीले धुएं व हैजार्ड से क्षेत्र में फैलेंगी कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां
रिपोर्ट- सतपाल धानिया
सेलाकुई। सहसपुर विधानसभा अन्तर्गत सेलाकुई में मानको को ताक पर रखकर अवैध रुप से हॉट मिक्स प्लांट संचालित किया जा रहा है। जिससे लोगों क़ा जीना मुहाल हो गया है। हॉट मिक्स प्लांट से निकलने वाला जहरीला धूंआ वायुमंडल में जहर घोल रहा है। जिससे ग्रामीणों को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है। साथ ही बुजुर्गो और मासूम बच्चों के जीवन को खतरा पैदा हो गया है। प्लांट से निकलने वाले जहरीले धुएं की चपेट में आने से पक्षियों की मौत भी हो रही है, तो वही हॉट मिक्स प्लांट से निकलने वाला हैजार्ड भी एक पाइप के द्वारा आसन नदी में छोड़ा जा रहा है। जिससे आसन नदी क़ा पानी काला व जहरीला हो गया है और आसन नदी में रहने वाले जलीय जंतुओं के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है।
आसन नदी में बड़े पैमाने पर हॉट मिक्स प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी को डाला जा रहा है। आसन नदी किनारे बसे दर्जनो गांव के ग्रामीणों की प्यास भी आसन नदी के पानी से ही बुझती है। हॉट मिक्स प्लांट क़ा दूषित पानी भूमिगत जल में समा रहा है। इससे बड़े पैमाने पर जलजनित बीमारियां क्षेत्र में फैलेंगी ओर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में क्षेत्र की जनता आ जायेगी। साथ ही आसन नदी से अवैध खनन कर खनन सामग्री लाई जा रही है। जिसका प्रयोग हॉट मिक्स प्लांट में किया जा रहा है, अगर हालात यही रहें तो आसन नदी पर बने एशिया के सबसे बडे वैटलैंड, आसन वैट लैंड क़ा अस्तित्व भी समाप्त हो जायेगा। आसन वैट लैंड को पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम ने राष्ट्र को समर्पित किया था।
आसन नदी पर बने आसन वैटलैंड में वर्तमान में हजारो विदेशी पक्षियों ने अपना आशियाना बनाया हुआ है। प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी से विदेशी पक्षियों के जीवन पर भी संकट खड़ा हो गया है। साथ ही आसन नदी क़ा हिंदू धर्म में खास महत्त्व है। आसन नदी में ही दर्जनो गांवो के ग्रामीण दाह संस्कार की प्रक्रिया करते है और आसन नदी में सभी धार्मिक कर्मकांड भी किये जाते हैं। जहां एक ओर सरकार नदियो को बचाने की मुहिम छेड़े हुए है, तो वही ऐसे प्लांट से सांठ-गांठ कर शासन प्रशासन नदियो के अस्तित्व को समाप्त करने पर तुला है। ऐसा नहीं है कि, शासन प्रशासन को इस गोरखधंधे की जानकारी नहीं है। लेकिन जानबूझ कर आंखे मूंदे हुए है। जिससे मोटा मुनाफा कमाया जा सके।
जब इस संबंध में पर्यावरण संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विश्वास डाबर से बात की गई तो वह भी यह कह कर पल्ला झाड़ गए हैं कि, यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं, तो वही पर्यावरण प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल से बात की गई तो उन्होंने भी कोई ठोस जवाब नही दिया और यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि, जांच की जायेगी। इससे यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि, एक बड़ी सांठ-गांठ के चलते यह गोरखधंधा चल रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि, प्लांट स्वामी बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है। जिसकी सत्ताधारी दल के कई बड़े नेताओ से संपर्क है। यही वजह है कि, शासन-प्रशासन प्लांट पर कार्यवाही नहीं कर पा रहा है।
आसन नदी क़ा अस्तित्व समाप्त होता है तो हो जाये। लोगों की जान जाती है तो चली जाये, हवा पानी प्रदूषित होता है तो हो जाये, इससे उत्तराखंड सरकार, सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर, सासंद रानी राज्य लक्ष्मी शाह और संबंधित विभागो को कोई सरोकार नहीं रहा। हालाकि अब मासूम बच्चे, क्षेत्र की जनता, आसन नदी, हवा और पानी को बचाने के लिऐ कई संगठन बड़े पैमाने पर आंदोलन की रणनीति बना रहें हैं। जिससे उत्तराखंड सरकार और जनप्रतिनिधियों की मुश्किलें बढ़नी लाजिमी है।