टेस्ट मैच सीरीज नहीं, विश्व कप जैसा हो 2022 का चुनाव
– छोटे-छोटेे दल अपने अहम को त्याग एकजुट हों
– आप की धमक से कांग्रेस-भाजपा की चैन-नींद उड़ी
– गुणानंद जखमोला
बीते 20 वर्षो से ऐसा हो रहा है कि, कांग्रेस और भाजपा बारी-बारी से प्रदेश की सत्ता में आ रहे हैं और राज्य का बेड़ागर्क कर रहे हैं। हमारे जल, जंगल और जमीनों की लूट हो रही है और पहाड़ की पगडंडी से लेकर शहर की सड़कों पर उतरे राज्य आंदोलनकारी मूक तमाशा देख रहे हैं। प्रदेश की बदहाली के लिए कुछ हद तक यूकेेडी और अन्य क्षेत्रीय दल भी हैं। राज्य आंदोलन का नेतृत्व करने वाले यूकेडी के नेताओं ने जनता के बीच जाने से अधिक अपनी ताकत पार्टी पर अपना कब्जा जमाने में लगा दी। पार्टी की कुर्सी मोह इतना अधिक है कि आज भी दिवाकर भट्ट जैसे बुजुर्ग नेता के कमजोर और थके कंधों पर पार्टी का बोझ है। यूकेडी की न बी टीम बनी न जनता की सुध ली।
इस बीच उत्तराखंड रक्षा मोर्चा मजबूती से मैदान में आया लेकिन फौजी फेल हो गये। जनरल टीपीएस रावत से हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि वो अपनी पेंशन से पार्टी का खर्च कब तक उठाते? एक भी फौजी चवन्नी खर्च करने के लिए तैयार नहीं था। रक्षा मोर्चा का आम आदमी पार्टी में विलय कर जनरल रावत किनारे हो गये। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, उत्तराखंड नवनिर्माण पार्टी, सर्वजन स्वराज, उत्तराखंड प्रगतिशील समेत दर्जनों क्षेत्रीय दल बने तो इनकी सदस्य संख्या सैकड़ों में भी नहीं है।
अहंकार और अपने को तीसमार खां समझने का एक उदाहरण जरूर दूंगा कि उत्तराखंड नवनिर्माण पार्टी के महासचिव मुकेश पंत ने स्वयं को सीएम पद का चेहरा घोषित कर दिया है और साथ ही सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। ये पार्टी दिल्ली से चल रही है। भगवान जाने पार्टी के पास इतने उम्मीदवार आए कहां से? यूकेडी पहले ही 70 सीटों पर लड़ने की बात करती है। जबकि उसके पास भी पूरे प्रदेश में एक लाख सदस्य नहीं हैं। ऐसे में 80 लाख वोटरों को कैसे लुभा सकते हैं? बेहतर होता कि सभी छोटे-छोटे दल मिलकर भाजपा और कांग्रेस का मुकाबला करते। लेकिन सपने तो मुंगेरी लाल के हैं। ढिकींण लेकर सोते हैं और सपने में ही सीएम बन जाते हैं।
इस बीच आम आदमी पार्टी की धमक हो गयी है। कोई कुछ भी कहे, लेकिन आप ने कांग्रेस और भाजपा के दिलों में डर पैदा किया है। पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने राज्य के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की चुनौती को स्वीकार कर लिया कि वो राज्य सरकार के 100 कार्यों को गिनाएंगे। मनीष पिछले एक हफ्ते में दो बार उत्तराखंड आ चुके हैं और अब मदन कौशिक से भिड़ने के लिए 2 से चार जनवरी के बीच आने को तैयार हैं। इस चुनौती का नतीजा कुछ भी हो लेकिन इससे जनता में संदेश गया है कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के प्रति गंभीर है। यदि प्रदेश की क्षेत्रीय ताकतें एकजुट नहीं होती हैं तो मान लिया जाना चाहिए कि 2022 के विधानसभा चुनाव में फाइट सीधे तौर पर भाजपा-कांग्रेस और आप के बीच सिमटेगी।