किसानों के समर्थन में कई संगठन हुए सरकार के विरोध में खड़े। दिया अल्टीमेटम
– सीपीआई पार्टी मजिस्ट्रेट कार्यालय और संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा ने जिला मुख्यालय पर किया विरोध प्रदर्शन
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। देशभर में किसान केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे किसान कानूनों को लेकर आंदोलन की राह पर है। लगातार किसानों का आंदोलन जारी है। क्योंकि अभी तक सरकार से उनकी वार्ता सफल नहीं हो सकी है। आज हरिद्वार में किसान कानूनों के खिलाफ सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पर सीपीआई पार्टी द्वारा किसानों के समर्थन में धरना दिया गया तो वही जिला मुख्यालय पर संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। एक की मांग है कि, भारत सरकार इस काले कानून को वापस ले और अगर सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती है तो पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा
सीपीआई पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि, पूरे देश में जो किसानों का आंदोलन चल रहा है, उसमें हम पुरजोर तरीके से किसानों का समर्थन कर रहे हैं। हमारी मुख्य मांग है जो किसान विरोधी कानून सरकार द्वारा बनाया जा रहा है उनको तुरंत सरकार निरस्त करें। सरकार किसानों के पक्ष में कानून बनाने का दावा कर रही है। मगर पूरे देश का किसान इस कानून को खारिज कर रहा है, तो किस प्रकार से सरकार कह रही है कि यह कानून किसानों के पक्ष में है।
इनका कहना है कि यह सरकार जनविरोधी सरकार है यह ना मजदूर का ख्याल रखते है न किसान का। मजदूर वर्ग और किसान इस सरकार को उखाड़ने का कार्य करेगा। सीपीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि, यह कानून खेती का ही नाश नहीं करेंगे इसका आम जनता को भी नुकसान होगा और अगर यह लागू हो जाता है तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी जिससे आम लोगों को राशन मिलना बंद हो जाएगा। क्योंकि मंडी भी बंद हो जाएगी। इनका कहना है कि जब किसान मंडी के बजाय सामान बाहर बेचेगा तो अपने आप ही सरकारी मंडिया बंद हो जाएगी। अगर सरकार किसानों की मांगे नहीं मानती है तो एक समन्वय समिति बनी है वहां से जो भी निर्णय आएगा उनके साथ हम कंधे से कंधा मिलाकर किसानों की लड़ाई लड़ेंगे।
किसान कानूनों के विरोध में जिला मुख्यालय पर संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा द्वारा भी विरोध प्रदर्शन किया गया। संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह सैनी का कहना है कि, इस कानूनों का विरोध पूरे देश में हो रहा है। क्योंकि अब पानी नाक से ऊपर चला गया है। किसान की जो सहने की शक्ति थी वह खत्म हो गई है। इसलिए आज किसान इतनी ठंड में सड़कों पर आंदोलन कर रहा है और वह भी सरकार की आंख खोलने के लिए। क्योंकि यह अंधी बहरी और गूंगी सरकार है जो किसान को देश से पूरी तरह से खत्म करना चाहती है। सरकार को दिखाई नहीं दे रहा कि, आज किस तरह से किसान भुखमरी की कगार पर है और आत्महत्या कर रहा है। आज अंग्रेजों वाला शासन यह सरकार कर रही है। इनका कहना है कि, किसान कानूनों के विरोध में है, चाहे हमें भूखे मरना पड़े हम आंदोलन जारी रखेंगे। अगर सरकार की नियत साफ है तो रेट का कानून बना दे, अगर सरकारी रेट से कम कोई खरीदता है तो उसमें जेल का प्रावधान कर दे, तो भी हम आंदोलन को खत्म करने का विचार कर लेंगे। मगर सरकार अपनी नियत साफ करें।