मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से किसे और कैसे मिला रोजगार
– सेब 9 रुपये और माल्टा 5 रुपये किलो भी नहीं कर रही खरीद
– बूझो तो, गहथ, मंडुआ-झंगोरा की खरीद कहां हो रही सरकार?
रिपोर्ट- गुणानंद जखमोला
देहरादून। पौड़ी के एकेश्वर ब्लॉक में बमोली, नौगांव-पांथर, रिंग्वाड़ी में माल्टा का उत्पादन होता है। पेड़ माल्टा से लक-दक रहते है, लेकिन खरीदार नहीं। यहां तक कि मुफ्त में खाने वाले भी नहीं। माल्टा का समर्थन मूल्य 5 रुपये 50 पैसा है। लेकिन उसे किसान मंडी तक कैसे ले जाएं, यह समस्या है। ट्रांसपोर्ट महंगा है और खरीद की गारंटी नहीं। किसान निराश हैं। न फूड प्रोसेसिंग यूनिट है, न कोल्ड स्टोरेज और न बाजार। यही स्थिति उत्तरकाशी के सेब उत्पादकों के साथ भी है। मंडुआ-झंगोरा हमारे राज्य आंदोलन के मूल उत्पाद हैं।
प्रदेश सरकार ने छह परम्परागत फसलों यानी मंडुआ-झंगोरा, चैलाई, काला भट्ट, गहथ और राजमा का समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। लेकिन जब न बाजार किसान तक पहुंच रहा है और न किसान बाजार तक। तो खेती-किसान कैसे होगी? यही कारण है कि प्रदेश में लगभग एक लाख हेक्टेयर उपजाऊ भूमि बंजर हो चुकी है।
बागवानी की बात करें तो गांव लौटे प्रवासी युवाओं ने लोन लेकर सब्जी उत्पादन शुरू किया। दिन-रात मेहनत की। फसल तैयार हुई तो रात को खरगोश और नील गाय सब्जी चट कर गये।
सरकार ने उन्हें लोन लेकर कर्जदार तो बना दिया, लेकिन यह सिखाने की जेहमत नहीं उठाई कि किस तकनीक से उत्पादन करें और सुरक्षा के क्या उपाय बरतें। लो हो गयी खेती-किसानी। इस बीच सरकार ने अपने खाते में कर्ज लेकर बर्बाद हुए पांच युवाओं को दिखाया- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से मिला रोजगार।