केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर उग्र हुई 10 मजदूर यूनियनें, किया विरोध-प्रदर्शन
– जब तक मांगे ना होगी पूरी तब तक चलता रहेगा आंदोलन
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियो के खिलाफ केन्द्रीय ट्रेड यूनियन और स्वतंत्र फेडरेशनो के आह्वान पर पूरे देश में की जा रही एक दिवसीय आम हडताल में भेल हरिद्वार में कार्यरत 10 यूनियनो इंटक द्वारा संयुक्त रुप से अपना पूर्ण समर्थन प्रदान किया गया। सभी यूनियनों के पदाधिकारी और कर्मचारियों द्वारा फाउण्ड्री गेट पर प्रदर्शन किया गया। जिसमे यूनियनो के पदाधिकारियो ने भेल प्रबन्धन और केन्द्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करके अपना विरोध जताया। वही भेल फाउंड्री गेट पर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए भारी पुलिस बल को भी तैनात किया गया। जिसमें निम्न बिंदुओं पर यूनियनों ने भेल प्रबंधक से मांग की है कि,
● श्रमिको के वेतन मे से 50% पर्क्स कटौती को शीघ्र बन्द किया जाये तथा एरियर सहित 100% पर्क्स का भुगतान किया जाये।
● 2019-20 के बोनस/एसआईपी एवं पीपीपी का भुगतान जल्द किया जाये।
● कैन्टीन एवं ट्रांसपोर्ट सब्सिडी को खत्म करने के प्रस्ताव को निरस्त किया जाये।
● केन्द्रीयकृत इंसेटिव स्कीम को शीघ्र लागू किया जाये।
● लैपटाँप प्रतिपूर्ति को बहाल किया जाये।
● 1 करोड का टर्म इंश्योरेंस शीघ्र लागू किया जाये।
● समस्त पे-अनामली को शीघ्र दूर किया जाये।
केन्द्र सरकार से माँग
● सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेशीकरण/निजीकरण पर रोक लगायी जाये।
● मजदूर विरोधी श्रम संहिताओ को वापस लिया जाये।
● समय से पूर्व सेवानिवृति के उत्पीडनमय आदेश को वापिस लिया जाये।
● सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियो के मोनेटाईजेशन पर रोक लगायी जाये।
● केन्द्र एवं राज्य सरकारो मे रिक्त पदो पर शीघ्र भर्ती की जाये।
● बोनस एवं प्रोविडेन्ट फण्ड की अदायिगी पर सभी बाध्यता सीमा हटाई जाये।
● सभी के लिये पेंशन लागू की जाये तथा ईपीएस पेंशन मे सुधार किया जाये।
● संविदा कर्मियों को न्यूनतम वेतन 21000/शीघ्र घोषित किया जाये।
आज पूरे देश भर में अपनी मांगों को लेकर श्रमिक सड़कों पर उतरे हुए हैं। हरिद्वार में 10 यूनियनों ने भी अपना विरोध प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया। भेल मजदूर ट्रेड यूनियन महामंत्री राजवीर का कहना है कि, केंद्र सरकार आम आदमी के लिए गंभीर नजर नहीं आ रही है। आज जो यह आंदोलन किया जा रहा है वह पूरे देश में किया जा रहा है। क्योंकि अब मजदूर मजबूर हो गए हैं। आज भेल कंपनी में हड़ताल चल रही है। श्रम कानून में जिस तरह का परिवर्तन केंद्र सरकार करना चाहती है कई प्रदेशों ने इस कानून में इंप्लीमेंट भी कर दिया है।
अगर यह 44 कानून 4 में परिवर्तनकरने का कार्य कर रही है उससे मजदूर बंधुआ मजदूर हो जाएगा और वह अपनी आवाज कहीं पर भी उठा नहीं पाएगा। जैसे कंपनी चाहेगी वैसे कार्य करने को मजबूर हो जाएगा। आज प्राइवेट सेक्टर में संस्थानों को बेचने का कार्य चल रहा है। उसे बिकने से रोकने के लिए हम आंदोलित है। संविदा कर्मियों को 21 हजार रुपए मिलने चाहिए भेल प्रबंधक द्वारा भी कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। इन तमाम मांगों को लेकर मजदूर आक्रोशित है हमारी यह लड़ाई रुकने वाली नहीं है। जब तक हमारी मांगों को माना नहीं जाता।