पहाड़ों पर शिक्षा न देने वाले शिक्षकों पर सरकार की टेढ़ी नजर। शासनादेश जारी
– शासन ने जारी किया शासनादेश। जिला शिक्षा अधिकारी बोले शासन के आदेश का किया जाएगा पालन
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार हर वर्ग को शिक्षा देने का कार्य कर रही है। मगर सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को शिक्षक ही पलीता लगाते दिख रहे हैं। क्योंकि शिक्षक पहाड़ों की बजाय प्लेन में नौकरी करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और इसी का कारण है कि, उत्तराखंड के कई शिक्षक पहाड़ों को छोड़कर प्लेन में नौकरी कर रहे हैं। अब इन शिक्षकों पर सरकार की टेढ़ी नजर हो गई है और हरिद्वार में तैनात कई टीचर अब पहाड़ पर चढ़ने को मजबूर हो जायेगे। क्योंकि उनकी मूल तैनाती पहाड़ों पर थी, मगर उनके द्वारा कई कारण बताकर प्लेन में तैनाती ली गई। शासन द्वारा आदेश जारी किए गए हैं कि, जितने भी ऐसे टीचर है जिनकी मूल तैनाती पहाड़ों पर है और वह प्लेन में जॉब कर रहे हैं उनको तुरंत पहाड़ों पर भेजा जाए और इसके लिए हरिद्वार जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी को शासन द्वारा आदेश भी जारी किया गया है। मगर अभी मुख्य शिक्षा अधिकारी तक शासन का आदेश नहीं पहुंचा है। मगर मुख्य शिक्षा अधिकारी शासन के जो भी आदेश होगा उसका पालन करने की बात कर रहे हैं।
दुर्गम पहाड़ों पर नौकरी करने से हमेशा ही टीचर बचते आए हैं और कोई ना कोई बहाना बनाकर प्लेन में नौकरी करना चाहते हैं। हरिद्वार जिले में तकरीबन 82 ऐसे टीचर है जिन की तैनाती पहाड़ों पर थी, मगर इन टीचरों द्वारा बहाना बनाकर प्लेन में जॉब की जा रही है। अब सरकार की इन सभी टीचरों पर टेढ़ी नजर हो गई है। शासन द्वारा इन सभी टीचरों को पहाड़ पर चढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसको लेकर शासन द्वारा एक शासनादेश भी जारी किया गया है। जिससे इन टीचरों को पहाड़ पर चढ़ाया जा सके।
हरिद्वार के मुख्य शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज का कहना है कि, 2017 में उत्तराखंड के कई जनपदों मे हरिद्वार के शिक्षक कार्यरत थे, उनको 3 वर्ष के लिए यहां पर तैनाती दी गई थी। मगर उनका ट्रांसफर नहीं किया गया था, उसके बाद शासन द्वारा उनको कार्यरत जिले में भेजने की कोशिश की गई तो कई शिक्षकों द्वारा धारा 27 के तहत अपना ट्रांसफर यहीं पर करा लिया और यहां पर कार्यरत है। कुछ बचे हुए शिक्षकों को दिशा की बैठक में भारत सरकार के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक निर्देश दिए थे, हरिद्वार में शिक्षकों की कमी नहीं होनी चाहिए इसको लेकर हमारे द्वारा शासन को पत्र भेजा गया था कि, कमी पूरी होने तक इन शिक्षकों को यहीं पर कार्य करने दिया जाए और यह बहुत ही कम संख्या में है। मगर शासन का जो भी आदेश होगा उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। अगर शासन उनको यहां नहीं रोकना चाहता है तो उन्हें भेज दिया जाएगा और अगर रोकना चाहता है तो शिक्षक यहीं पर कार्य कर सकते हैं। क्योंकि कई शिक्षकों की यहां पर पक्की पोस्टिंग हो चुकी है। मगर 15 से 20 ऐसे शिक्षक है जो अभी भी बाहर जाने की स्थिति में है।
पहाड़ों पर अपनी तैनाती से बचने के लिए अधिकतर देखा जाता है कि, शिक्षक हो या कोई भी विभाग के कर्मचारी वो बहाना बनाकर प्लेन में नौकरी करना चाहता है और इसका बड़ा कारण है कि पहाड़ों पर कई मूलभूत सुविधाएं नहीं है। जिस कारण शिक्षक और किसी भी विभाग के कर्मचारी पहाड़ों पर नौकरी करना नहीं चाहते मगर अब सरकार की इन शिक्षकों पर टेढ़ी नजर हो गई है। क्योंकि पहाड़ों पर कई ऐसे स्कूल है जहां पर शिक्षक ही नहीं है। जिस कारण बच्चों को पढ़ाई करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। अब इन शिक्षकों को पहाड़ों पर चढ़ाने के लिए शासन द्वारा शासनादेश जारी किया गया है। अब देखना होगा कब तक प्लेन में नौकरी कर रहे शिक्षकों को पहाड़ों पर चढ़ाया जा सकता है।