अधिकारियों को मुखिया और शासन का नहीं रहा कोई खौफ। आखिर जनता को कैसे मिलेगा न्याय
– शासन द्वारा निदेशालय को संदर्भित पत्र दो-चार महीने एक ही पटल पर फांकते हैं धूल
विकासनगर। निदेशालय में बैठे अधिकारियों को न ही मुखिया का भय है और न ही शासन का ! आलम यह है कि जनता की शिकायतों एवं उनको न्याय देने के मामलों में शासन द्वारा निदेशालयों को संदर्भित पत्र कई-कई महीने धूल फांकने के पश्चात ही गतिमान होते हैं तथा संबंधित पटल पर पहुंचते-पहुंचते 6-7 महीने लग जाते हैं यानी उनको न्याय मिलना तो दूर, अपना शिकायती पत्र खोजना ही टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने इस मुद्दे को हैरानी जताते हुए कहा कि, राज्य गठन की अवधारणाओं को मुखिया/मंत्रियों एवं अधिकारियों की जुगलबंदी ने तार-तार कर दिया है। जनता न्याय पाने के लिए एक पटल से दूसरे पटल पर धूल फांकने को मजबूर है। मोर्चा ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर विभागों पर चाबुक चलाने हेतु आग्रह किया है।