सीबीआई चाबुक से सहमे त्रिवेंद्र पहुंचे सर्वोच्च न्यायालय की शरण में। मिली कुछ दिनों की राहत
– अगर मीडिया के लोग गुनहगार थे, तो सीबीआई खुद लेती हिसाब
– नोटिस जारी होने पर खुद पैर में कुल्हाड़ी मरवा बैठे त्रिवेंद्र
विकासनगर। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत एवं कुटुंब के झारखंड दलाली प्रकरण जिसमेें एक भाजपा नेता को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के एवज में दलाली किए जाने का मामला था। जिसमें मा. उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच एवं एफआईआर के निर्देश से घबराकर रातों-रात मा. सर्वोच्च न्यायालय की शरण में जाने से स्पष्ट हो गया है कि, श्री त्रिवेंद्र एवं कुटुंब को अपने गुनाह सता रहे हैं, जिसके कारण सीबीआई के नाम से ही ये भाग खड़े हुए।
उक्त प्रकरण में जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी हैरानी जताते हुए कहा कि, अगर त्रिवेंद्र दलाली प्रकरण में पाक साफ हैं तथा पैसों का कोई लेन-देन खातों में नहीं हुआ है तो सीबीआई से क्यों डर रहे हैं तथा क्यों मा. सुप्रीम कोर्ट जाने की जरूरत आन पड़ी! यह दुनिया का पहला मामला है, जिसमें एक तरफ तो सीएम के इशारे पर उनके रिश्तेदार द्वारा मीडिया कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई, जिसमें बड़ी-बड़ी बातों का उल्लेख किया गया तथा जांच की मांग की गई।
अब जबकि मा.न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे तो त्रिवेंद्र उल्टे पांव क्यों भाग खड़े हुए! एक तरह से त्रिवेंद्र ने अपने विरोधियों को घर बैठे-बैठाए ब्रह्मास्त्र थमा दिया यानी खुद ही अपनी जांच करवा बैठे। नेगी ने कहा कि भले ही मा. सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच एवं एफआईआर मामले मे कुछ दिनों के लिए राहत दी है, लेकिन नोटिस जारी कर मामले को जारी रखा है यानी जांच तो होगी ही !