मां गंगा करती है भक्तों का कल्याण। तलहटी से निकला सोना, चांदी, पैसा बना कई परिवारों के जीवन जीने का आधार
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। माँ गंगा धरती पर लोगों का उद्धार करने आई थी और वह इस कार्य को निरंतर कर रही है। गंगा बहे या न बहे मगर गंगा हमेशा लोगों का पेट भरती ही है। इन दिनों धर्म नगरी हरिद्वार में गंगा बंदी के बाद सूखी गंगा में सोना चांदी और पैसा खोजने उतर रहे लोगो की खूब मौज हो रही है। हर वर्ष गंगा बंदी होते ही उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड के हजारो लोग अपने परिवारों के साथ हरिद्वार में डेरा जमा देते है। उन्हें उम्मीद रहती है कि, गंगा को खोद कर जो कुछ भी मिलेगा उससे उनके परिवार का पेट भरने का इंतजाम हो जायेगा। गंगा में जल रहे या गंगा सुखी रहे वह उनके परिवारों का पेट भरने का कार्य करती है और सूखने पर तो जो सोना चांदी और पैसा मिलता है, उससे उनके परिवार का खर्च निकल आता है।
हरिद्वार में इन दिनों गंगा बंदी के चलते हजारो लोग रोज अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए गंगा से सोना चांदी के साथ पैसे खोजने में जुटे हुए है। गंगा की खुदाई में निकलने वाले सोना चांदी की यहाँ सरकार मालिक नहीं होती बल्कि जिसको जो भी मिलता है वो उसी का हो जाता है। हरिद्वार में हर की पैड़ी सहित तमाम गंगा घाटों पर आप हजारों लोगों को पूरे परिवार और छोटे-छोटे बच्चो के साथ गंगा से कुछ बीनते देख सकते है। दरसल यह लोग गंगा में चढ़ाए गए दान को ढूंढ रहे है। यह इसी से अपने परिवार का पेट पालते है। इस बार गंगा बंदी एक महीने केेेे लिए की गई क्योंकि कुंभ के कार्य होने हैं, इस वजह से इन लोगों को अब गंगा से अमूल्य वस्तु निकालने के लिए काफी समय मिलेगा।
वैसे तो धर्मनगरी हरिद्वार वासियों का जीवन ही गंगा से चल रहा है, मगर यहाँ ऐसे लोग भी है जिनकी रोजी रोटी ही गंगा में डाले गए भक्तो के सिक्को सोना चांदी और अन्य सामानो से चलती है। ये लोग इन्ही पैसो से अपने बच्चो का पालन करने के साथ-साथ दीपावली का त्यौहार भी मनाते है और इसके लिए इनको गंगा बंदी का साल भर से इन्तजार रहता है गंगा ढूंढने वालों का कहना है कि, हम कई सालों से इस कार्य को कर रहे हैं और गंगा बंदी केे बाद गंगा ढूंढने के लिए आते हैं। गंगा से हमारी रोजी रोटी चलती है और हमें पैसों के साथ गंगा से सोना चांदी भी मिल जाता है इस वक्त हरिद्वार में कई हजार लोग गंगा बंदी के बाद गंगा मैं पैसे सोना चांदी ढूंढने का कार्य कर रहे हैं।
गंगा जब कलकल बहती है तो तब भी लोगों का उद्धार करती है और जब गंगा बंधी होती है तब भी मां गंगा लोगों के पेट भरने का कार्य करती है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि गंगा हमारी मां है और मां हमेशा अपने बच्चों का कल्याण करती है। हरिद्वार में गंगा बंदी चल रही है और इस वक्त हजारों गरीब परिवारो को गंगा रोजगार दे रही है। गंगा बंदी के दौरान इन लोगों को गंगा से सोना चांदी और सिक्के मिलते हैं जो श्रद्धालु मां गंगा को अर्पण करते हैं। गंगा बंदी के दौरान जितने भी गरीब लोग हैं वह भारी संख्या में गंगा से अपना पेट भरते हैं। मां गंगा जब बहती है तब भी लोगों का उद्धार करती है और जब सूखती है तब भी लोगों का कल्याण करती है। इस बार गंगा बंदी एक महीने के लिए की गई है। जिससे इन लोगों को गंगा से रुपया पैसा ढूंढने के लिए काफी वक्त मिलेगा।
मां गंगा धरती पर मानव का कल्याण करने के लिए आई है और वह इस कार्य को बखूबी निभा भी रही है गंगा से सटे क्षेत्रों के लोगों का व्यवसाय और जीवन गंगा के इर्द गिर्द ही सीमित है। गंगा की धारा रुक जाने के बाद जो कुछ उसकी तलहटी से निकलता है वह हजारो परिवारों के जीवन जीने का आधार बनता है और धर्मनगरी दशको से गंगा के इस रूप को करीब से देखती आ रही है।