प्रशासन की मिलीभगत। नियम कायदे को ताक पर रख अवैध रूप से काटी जा रही कॉलोनियां
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। शहर में भू माफियाओं के हौसले दिन पर दिन बुलंद होते जा रहे हैं। नियम कायदों को ताक पर रखकर कई बीघा जमीनों पर खुलेआम बिना रेरा की अनुमति और बिना जिला विकास प्राधिकरण की शर्तों और नक्शे के बिना कॉलोनियों का निर्माण किया जा रहा है। कॉलोनियों के निर्माण के लिए हरे पेड़ों पर धड़ल्ले से आरी चलाई जा रही हैं। भू माफिया बेखौफ होकर राजस्व विभाग से मिलकर जमीनों को ठिकाने लगाने का काम कर रहा है। नगर निगम बनने के बाद भी जमीनों की रजिस्ट्री ग्रामीण क्षेत्र के आधार पर की जा रही है, जो कि सरकार को रजिस्ट्री टैक्स में करोड़ों का चूना लगा रहे हैं।
रजिस्ट्रार द्वारा आम आदमी को तो दूरी प्रमाण पत्र तथा जाति प्रमाण पत्र के आधार पर तहसील के चक्कर लगवाए जा रहे हैं परंतु वहीं जो भूमि भू माफियाओं द्वारा कॉलोनियों के रूप में विकसित की जा रही है उनकी रजिस्ट्री बिना जाति प्रमाण पत्र बगैर दूरी प्रमाण पत्र के भी कर दी जा रही हैं। यह प्रमाण पत्र बाद में सुविधा अनुसार लगवाए जा रहे हैं। कोटद्वार की कृषि भूमि पर जिस प्रकार कॉलोनियों विकसित की जा रही हैं। उससे साफ पता चलता है कि, कोटद्वार के किसानों को आने वाले समय में मजबूरन अपनी जमीन बेचनी पड़ेगी क्योंकि किसानों को मिलने वाला पानी कॉलोनियों को बांटा जा रहा है। बिजली और बिजली के पोल कॉलोनियों को वितरित किए जा रहे हैं परंतु टैक्स आम आदमी और किसानों से वसूला जा रहा है।
जबकि कॉलोनीया प्राइवेट स्तर पर बनी हुई है, वह भी अवैध ढंग से। न कोई दस्तावेज, न नक्शा, न प्राधिकरण की अनुमति और न ही रेरा के द्वारा पंजीकृत कॉलोनियां विकसित करने वाले भू माफियाओं के पास रेरा का कोई लाइसेंस है। गजब की बात है कि, प्राधिकरण द्वारा कॉलोनी का नक्शा तक पास नहीं करवाया गया है। जिससे आने वाले समय में इन कॉलोनियों में अपने लिए घर बनाने का सपना देख रहे लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि भूमाफिया तो आम जनमानस को एक-दो हजार वर्ग मीटर की भूमि बेचकर गायब हो जाएगा परंतु बाद में नक्शा और अन्य सुविधाओं के नाम पर सरकारी उत्पीड़न जमीन खरीदने वाले और अपने लिए भवन बनाने वालों को झेलना पड़ेगा।
अब देखना यह है कि, कोटद्वार का राजस्व विभाग अवैध कॉलोनियों पर रोकथाम लगा पाएगा या नहीं? कोटद्वार में अवैध कालोनियों का जाल मुख्य रूप से वार्ड नंबर 27 से 32 तक सबसे ज्यादा जारी है। क्या प्रशासन गरीबों और मेहनतकश लोगों तथा रातदिन खून-पसीने से जिन्दगी भर की कमाई को जमीदोंज होने से बचाने में न्याय दिलाने मे मददगार बनेगा।