लंगूरगाड़ नदी पर पुल निर्माण को विश्व बैंक की मंजूरी। वन विभाग में फंसा पेंच
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में स्थित जुवा गांव के लिए सड़क तो एक दशक पहले बन चुकी है, लेकिन यहां कि लंगूरगाड़ नदी पर पुल का निर्माण अभी तक नहीं हो सका है। बारिश के दौरान ये नदी रौद्र रूप धारण कर लेती है। इस कारण सड़क मार्ग से गांव का संपर्क पूरी तरह से कट जाता है। ऐसे में ग्रामीणों को दुगड्डा तक पहुंचने के लिए चार किलोमीटर जंगल के रास्ते पैदल चलना पड़ता है। रास्ते में गुलदार और भालू जैसे कई खतरनाक जानवर विचरण करते देखे जा सकते हैं।
लंगूरगाड़ नदी पर पुल के निर्माण के लिए वन विभाग का इंतजार
वर्ष 2005-06 में यहां पर सड़क निर्माण की स्वीकृति मिली थी। उस समय तत्काल सड़क का निर्माण करा दिया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक इस सड़क पर पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। लोक निर्माण विभाग दुगड्डा के द्वारा लंगूरगाड़ नदी पर तीन करोड़ की लागत से 30 मीटर स्पान पुल का प्रपोजल शासन को भेजा गया था। लेकिन पुल का कुछ हिस्सा जंगलात की जमीन से होकर गुजरना था, जिस कारण इसका निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो सका है।
गौरतलब है कि, इस पुल के निर्माण की बात प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में पहले ही कर चुके हैं। लंगूरगाड़ नदी पर पुल के निर्माण की मांग जुवा गांव के लिए ग्रामीण लंबे समय करते आ रहे हैं। जिस पर यमकेश्वर विधायक ऋतु खंडूडी ने बताया कि, इस पुल की स्वीकृति वर्ल्ड बैंक से हो गई है। इस पुल का कुछ हिस्सा फॉरेस्ट भूमि के अंतर्गत आ रहा है, जिसके कारण इस प्रोजेक्ट में कुछ अड़चनें आ रही हैं। उन्होंने बताया कि, उनकी ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे है। वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों से वार्ता भी जारी है। उन्हें निर्देशित भी किया गया है कि, वो फॉरेस्ट और PWD के अधिकारियों से बात करें। उम्मीद है कि, अगले दो-चार महीनों में पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा।