हरिद्वार: प्रशासन के नोटिस से संतों में आक्रोश। दी शासन-प्रशासन की सुविधाओं का बहिष्कार करने की चेतावनी

प्रशासन के नोटिस से संतों में आक्रोश। दी शासन-प्रशासन की सुविधाओं का बहिष्कार करने की चेतावनी

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। जिला प्रशासन द्वारा हरिद्वार के बैरागी कैंप में तीन अखाड़ों के निर्माण हटाने का नोटिस जारी करने के बाद बैरागी अखाड़ों के संतो में उबाल देखने को मिला है। श्री पंच निर्वाणी अखाडा ल, श्री पंच दिगंबर अनी अखाडा और श्रीपंच निर्मोही अखाडा के संतो ने 2021 कुम्भ मेले में सरकार और अखाडा परिषद् द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और व्यवस्थाओ के बहिष्कार की घोषणा कर दी है। इतना ही नहीं संतो ने राज्य सरकार से नोटिस वापस लेने की मांग भी की है और ऐसा न करने पर कुम्भ मेले के शाही स्नान के बहिष्कार करने का विचार करने की बात भी कही है।

आपको बता दे कि, 2010 के कुम्भ में इन तीनो अखाड़ों ने बैरागी कैंप में दी गई सिंचाई विभाग की भूमि मंदिर और कुछ अन्य निर्माण किये हुए है। 2021 कुम्भ मेले के लिए प्रशासन ने इन निर्माणों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया है। जिससे इन अखाड़ों के संतो में रोष पैदा हो गया और अब वे सरकार से इस कार्रवाई को रोकने की मांग पर अड़ गए है। श्री पंच निर्मोही अखाड़े के श्री महंत धर्मदास महाराज का कहना है कि, सरकार द्वारा जो हमें नोटिस भेजा गया है, हम सरकार से मांग करते हैं कि, वह इस मामले पर विचार करके हमारी अनादिकाल की परंपरा के अनुसार कार्य करें। अगर हमारी मांग ना मानी गई तो हम मेले में प्रशासन द्वारा दी जाने वाली कोई भी सुविधा नहीं लेंगे।

श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़े के श्री महंत कृष्ण दास महाराज का कहना है कि, प्रशासन द्वारा दिए गए नोटिस का जवाब देने की बजाय हमने प्रशासन को कह दिया है कि, आप जो कुछ कर सकते हैं उसको करे। क्योंकि हमारी परंपरा के अनुसार यह बैरागी कैंप है और इसको लेकर हमारे द्वारा दो मांग रखी गई है कि, बैरागी कैंप की जमीन को आरक्षित की जाए और तीनों ही अखाड़ों को स्थाई निवास बनाए जाए। अगर हमारी यह मांगे नहीं मानी गई तो हम ना तो कुंभ मेले में प्रशासन की तरफ से दी जाने वाली कोई सुविधा लेगे, ना ही प्रशासन की किसी मीटिंग में जायेगे। हम कुंभ मेले में सिर्फ गंगा स्नान करेंगे। अगर अखाड़ा परिषद भी हमारा साथ नहीं देगा तो हम उसका भी विरोध करेंगे। सरकार द्वारा दी जाने वाली एक करोड़ की धनराशि हमें नहीं चाहिए। हमें बस बैरागी कैंप में अखाड़ों का स्थाई निर्माण हो यही हमारी मांग है।

श्रीपंच निर्मोही अखाड़े के महंत राजेंद्र दास का कहना है कि, कुंभ मेले को लेकर शासन और प्रशासन से जितनी भी मीटिंग हुई है उसमें हमारे द्वारा मुख्यमंत्री शहरी विकास मंत्री और अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों को बोला गया है कि, बैरागी अखाड़ों के साथ इंसाफ नहीं हो रहा है। कुंभ मेले में हमारे लिए आरक्षित स्थान होना चाहिए। बैरागी कैंप में जितना अतिक्रमण है उसे हटाना चाहिए और उस जमीन को अखाड़ों के अधीन करना चाहिए। यह हमारी शुरू से मांग रही है। यह सरकार और साधु-संतों के लिए सवाल है कि, यह धर्म के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। इसको हम प्रशासन की व्यवस्थाओं का बहिष्कार करते हैं और अगर जरूरत पड़ी तो हम कुंभ मेले का भी बहिष्कार करेंगे।

हम प्रशासन की किसी भी मीटिंग में नहीं जाएंगे। क्योंकि प्रशासन हमारे साथ इंसाफ नहीं कर रहा है। छड़ी की परंपरा और भू समाधि की परंपरा नहीं थी, उसको बनाई जा रही हमारी परंपरा की बात नहीं की जाती। बैरागी अखाड़ों का अस्तित्व खतरे में है। अखाड़ों की चरण पादुका हटाई जा रही है। सवाल अखाड़ा परिषद पर भी है कि, सिर्फ अखाड़ा परिषद के पदों पर बैठकर वह अपना फायदा कर रहे हैं, अगर हमारा अस्तित्व रहेगा तभी अखाड़ा परिषद का अस्तित्व रहेगा। चाहे जितनी भी बिल्डिंग बना लो वह गिरेगी जरूर। कल मीटिंग में हमारे द्वारा बोला गया था, मगर मुख्यमंत्री ने हमारे अखाड़ों की बात ना करके दूसरे अखाड़ों की बातों को महत्व दिया। वैष्णो समाज की कुंभ मेले में महत्वपूर्ण भूमिका है अगर वैष्णो समाज नहीं तो कुंभ मेला भी नहीं।

बेरागी अखाड़े को प्रशासन द्वारा दिए गए नोटिस के बाद बेरागी आंकड़ों के साधु संतों में आक्रोश उत्पन्न हो गया है। बैरागी अखाड़ों के साधु संतों ने शासन-प्रशासन के साथ अखाड़ा परिषद को भी आड़े हाथों लिया है और चेतावनी दी है कि, अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो उनके द्वारा शासन और प्रशासन द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं का बहिष्कार किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो कुंभ मेले का भी बहिष्कार कर देंगे और साथ ही अखाड़ा परिषद ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया तो अखाड़ा परिषद का भी बहिष्कार किया जाएगा। अब देखना होगा कि, बैरागी अखाड़ों के संतों द्वारा दी गई चेतावनी का शासन और प्रशासन के साथ अखाड़ा परिषद क्या संज्ञान लेता है यह देखने वाली बात होगी।