राम मंदिर निर्माण के बाद काशी और मथुरा को भी किया जाए मुक्त
– प्रधानमंत्री मोदी को दी चाणक्य की उपाधि
– शंकराचार्य स्वरूपानंद पर किए कई कटाक्ष
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के सदस्य श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के महामंडलेश्वर और साध्वी ऋतंभरा के गुरु युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि ने मांग की है कि, मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा लाई गई मिट्टी को हम अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास में लेने को तैयार हैं। यदि वे हमें खुशी-खुशी दो स्थान काशी और मथुरा सौंप दें। इससे दोनों समुदायों के बीच सद्भाव बनेगा। हम राम शिव और कृष्ण के भक्त हैं और हमारी इन पावन पवित्र स्थानों के प्रति अपार श्रद्धा और आस्था है। मुस्लिम समुदाय के इस कदम से गंगा जमुनी तहजीब को और अधिक मजबूती मिलेगी। कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि, वैसे भी एक पार्टी गंगा जमुनी तहजीब की बार-बार बात करती है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा अयोध्या में भगवान श्री राम जन्म भूमि पूजन व शिलान्यास करने की अनुमति देने पर कहा कि, उनकी भूमिका से ज्यादा मजबूरी थी।
क्योंकि वे राजनीति रूप से बर्बाद हो रहे थे और उन्होंने बाद में राजनीतिक मजबूरी के चलते शिला पूजन पर रोक लगा दी। परंतु कोर्ट ने उस रोक को हटा दिया। इसके साथ ही परमानंद गिरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाणक्य बताते हुए कहा कि, राम मंदिर निर्माण को लेकर नरेंद्र मोदी ने प्रतिज्ञा की थी। इस कारण वह अयोध्या नहीं गए तो वही शंकराचार्य स्वरूपानंद पर कटाक्ष करते हुए राम मंदिर का आंदोलन संतो और विश्व हिंदू परिषद ने चलाया, न कि स्वरूपानंद सरस्वती ने। संतो के राजनीति में आने को लेकर परमानंद गिरी ने कहा कि, राजनीति में कई तरह के समझौते करन पड़ते हैं। जो संतों का स्वभाव नहीं है। इसलिए संतो को राजनीति में नहीं आना चाहिए।
युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि का कहना है कि, जब श्री राम जन्मभूमि आंदोलन चला था तब राम भक्तों ने नारा दिया था “अयोध्या, मथुरा विश्वनाथ, तीनों लेंगे एक साथ” और अब समय आ गया है कि, देश में सद्भावना और भाईचारे के लिए मुस्लिम समुदाय को काशी विश्वनाथ और मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थल का कब्जाया गया परिसर हिंदुओं को वापस कर देना चाहिए। स्वामी परमानंद गिरि ने कहा कि, काशी और मथुरा को हासिल करने के लिए फिलहाल हम लोगों की आंदोलन चलाने की कोई योजना नहीं है। क्योंकि कोई भी आंदोलन एक व्यक्ति के द्वारा नहीं संगठन के द्वारा चलाया जाता है। परंतु यह दोनों स्थान हमारी आस्था और भावना से जुड़े हैं। मुगल काल में केवल मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने का काम हुआ। तब आबादी बहुत कम थी और जगह बहुत थी। मस्जिद कहीं भी बनाई जा सकती थी परंतु हिंदुओं का अपमान करने के लिए मंदिर तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा अयोध्या में भगवान श्री राम जन्मभूमि पर पूजन व शिलान्यास करने की अनुमति देने को लेकर स्वामी परमानंद गिरि महाराज का कहना है कि, राजीव गांधी ने मजबूरी में राम जन्मभूमि स्थल पर भूमि पूजन शिला पूजन की अनुमति दी। उनकी भूमिका से ज्यादा मजबूरी थी क्योंकि वे राजनीति रूप से बर्बाद हो रहे थे और उन्होंने बाद में राजनीतिक मजबूरी के चलते शिला पूजन पर रोक लगा दी। परंतु कोर्ट ने उस रोक को हटा दिया। इनका कहना है कि, विवादास्पद ढांचा अयोध्या में योजनाबद्ध तरीके से नहीं गिराया गया था जो लोग गुंबद में चढ़ गए थे उन्हें नीचे उतारने की अपील की गई और राम की सौगंध भी दी गई। परंतु वे नहीं उतरे और ऐसा माहौल बन गया कि, लोगों ने जोश में विवादास्पद ढांचा गिरा दिया।
परमानंद गिरी महाराज ने प्रधानमंत्री मोदी को चाणक्य बताते हुए कहा कि, जैसे चाणक्य ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए शिखा खोल दी थी और शिखा में गांठ जब बांधी जब उनकी प्रतिज्ञा पूरी हुई। इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में कई साल पहले अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प जागा था और अब यह संकल्प पूरा होने पर अयोध्या में मंदिर का शिलान्यास करने आ रहे हैं। इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधु की संज्ञा देते हुए कहा कि, वे नवरात्रि के व्रत रखते हैं। गंगा की आरती करते हैं। शिव का अभिषेक करते हैं साथ ही संसद के द्वार पर मत्था टेकते हैं।
इनका कहना है कि, एक पार्टी द्वारा हमारे मंदिरों के लिए यह बोला गया कि, हम ईट पत्थर की लड़ाई लड़ रहे हैं और मस्जिद को कुछ राजनेताओं ने पवित्र मस्जिद बताया यानी हमारे मंदिर ईट पत्थर हो गए। राम को काल्पनिक बता दिया और कहा कि राम का जन्म ही नहीं हुआ। यह बातें कह कर हिंदुओं का अपमान किया गया। इसे संत और हिंदू जनमानस श्री राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ता चला गया