मनसा देवी की दरकती पहाड़ियां से हरिद्वार को खतरा
– भूवैज्ञानिक बोले ट्रीटमेंट होने पर होगा भारी नुकसान। जिलाधिकारी बोले प्रशासन की है पूरी तैयारी
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। उत्तराखंड में हर साल प्राकृतिक आपदाओं की वजह से करोड़ों का नुकसान होता है और कई लोग प्राकृतिक आपदा की वजह से अपनी जान भी गवा देते हैं। उत्तराखंड के पहाड़ रेतीले पहाड़ है। हर साल बरसात के सीजन में बड़ी-बड़ी चट्टानें धराशाई हो जाती है। जिसकी वजह से काफी जान-माल का नुकसान भी होता है। ऐसा ही खतरा हरिद्वार पर भी मंडरा रहा है। शिवालिक पर्वत पर स्थित मां मनसा देवी के पहाड़ों से जो कभी भी धराशाई हो सकते हैं। इन पहाड़ों के अध्ययन के लिए आईआईटी रुड़की की एक टीम द्वारा निरीक्षण किया गया था और उनके द्वारा अपनी रिपोर्ट में इन पहाड़ों को कमजोर बताया गया है। मनसा देवी के पहाड़ों के नीचे बड़ी संख्या में आबादी रहती है। जो हमेशा ही डर के साए में जीने को मजबूर है। भू वैज्ञानिक भी इन पहाड़ियों को आने वाले वक्त में हरिद्वार के लिए एक बड़ा खतरा बता रहे हैं।
मनसा देवी के पहाड़ों से हरिद्वार को खतरा
मनसा देवी के रेतीले पहाड़ होने की वजह से यह नीचे की ओर झुक रहे है। इन पहाड़ों पर बिना ट्रीटमेंट के ही कार्य किए जा रहे हैं। मनसा देवी के पहाड़ों के नीचे करोड़ों की लागत से हरिद्वार से मोतीचूर तक सड़क मार्ग का निर्माण किया गया। मगर यह सड़क हर साल बरसात के सीजन में भारी मलबा आने की वजह से टूट जाती है। पाक क्षेत्र में होने की वजह से यह सड़क बड़े स्नान कुंभ और अर्ध कुंभ में ही चलाई जाती है। इस सड़क के चलने से हरिद्वार में जाम की समस्या से भी निजात मिलती है। मगर बरसात के दिनों में भारी मलबा आने की वजह से यह सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है। साथ ही मनसा देवी के पहाड़ नीचे से गुजर रही ट्रेनों से भी काफी कमजोर हो रहे हैं। इस पहाड़ी पर अत्यधिक दबाव बन रहा है। जिससे कभी भी इतना बड़ा हादसा हो सकता है। जिसकी कल्पना कर पाना भी बड़ा मुश्किल है।
शिवालिक पर्वत माला से जुड़े इस मार्ग पर हर वर्ष बारिश के दौरान सैकड़ो टन मलबा आ जाने से यहां पर जीवन की रफ़्तार थम सी जाती है। इस मलबे के चलते यहां रहने वाले निवासियों और दुकानदारों के साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मलबे के साथ-साथ पहाड़ से गिरने वाले पत्थर यहां पर भारी तबाही लाते है। स्थानीय लोगों का कहना है कि, मनसा देवी के पहाड़ों से काफी खतरा है। हर बरसात में यहां पर भारी भूस्खलन होता है। यहां पर करोड़ों की लागत से सड़के बनाई जाती है। मगर मलवा आने की वजह से सभी सड़कें टूट जाती है। मनसा देवी के पहाड़ों से भूस्खलन होने से नीचे आबादी क्षेत्र में काफी नुकसान होता है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में आबादी रहती है। स्थानीय लोग बरसात के सीजन में डर के साए में रहने को मजबूर होते हैं। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। क्योंकि आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों द्वारा भी यहां का सर्वे किया गया था और उनके द्वारा इस पहाड़ी को कमजोर बताया गया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि, मनसा देवी के पहाड़ों को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा की गई बैठक में इस मामले को उठाया गया था। उनके द्वारा बताया गया है कि, मनसा देवी के पहाड़ थोड़े कच्चे हैं। इन पहाड़ों का ट्रीटमेंट किया जाएगा और पहाड़ों के बराबर में दीवार खड़ी की जाएगी। साथ ही पक्के निर्माण से पहाड़ों को बचाया जायेगा। ताकि आने वाले कुंभ मेले में पहाड़ों की वजह से कोई समस्या उत्पन्न ना हो।
बता दें कि, मंसा देवी के पहाड़ हर वर्ष वर्षा ऋतु में धर्मनगरी हरिद्वार के लोगो के लिए आफत लेकर आते है। इन पहाड़ों की वजह से सबसे ज्यादा खतरा भीमगोडा ब्रह्मपुरी और प्रमुख हरकी पैडी अपर रोड को है। जो बिलकुल पहाड़ो के निचे बसा है। भू वैज्ञानिक बीडी जोशी का कहना है कि, मनसा देवी के पहाड़ बहुत ही कच्चे पहाड़ है। यह चट्टान के ऊपर बने पर्वत नहीं है यह गंगा की पुरानी मिट्टी से बना हुआ पहाड़ है। कई वर्षों से देखने में आ रहा है इन पहाड़ों में भूमि का कटाव बढ़ रहा है। वहाँ विकास कार्यों और बुलडोजर के द्वारा कटाव किया जाता है। बिना ट्रीटमेंट के पर्वत श्रृंखला को कमजोर करता चला जा रहा है। इस साल पांच छह महीनों में ज्यादा बारिश हुई है और अबकी बार में मिट्टी काफी भारी थी। पहाड़ के नीचे कटाव जारी था साथ ही पहाड़ों से वृक्ष कटाव होने के कारण मनसा देवी के पहाड़ काफी कमजोर हो रहे हैं।
अगर सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है तो आगे इसके बहुत ही दुष्परिणाम देखने को मिलेगा। बीड़ी जोशी का कहना है कि, मनसा देवी के पहाड़ों के बीच में सड़क का निर्माण किया गया है और इस सड़क का प्रयोग सुचारू रूप से नहीं हो रहा है। यह अच्छी बात है क्योंकि बिना ट्रीटमेंट के सड़क का उपयोग और चौड़ीकरण का निर्माण करना विनाश का कारण हो सकता है। साथ ही रेलवे का ट्रैक भी डबल किया जा रहा है। इन कार्यों से पहाड़ी पर काफी दबाव पड़ेगा और पहाड़ी कभी भी अचानक तेज बारिश होने पर गिर सकती है। जिससे लोगों की जान माल का खतरा बना रहेगा।
वहीं इस मामले पर हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि, मनसा देवी के पहाड़ों पर पहले भी रिसर्च की गई है। उसको देखते हुए इस मामले का संज्ञान लिया जाएगा और जो भी सुरक्षा के इंतजाम किए जाने हैं हमारे द्वारा सभी इंतजाम किए जाएंगे। हमारे द्वारा आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी की गई है। जहां पर भी भूस्खलन होने की संभावना है हमारे द्वारा वहां साइन बोर्ड लगाई जायेगे। जिसे लोगों को भूस्खलन होने पर बचाया जा सके और साथ ही भूस्खलन वाली जगह पर जेसीबीभी लगाई जाएगी। जिससे भूस्खलन होने पर तुरंत मलबे को हटाया जा सके। साथ ही प्रशासन द्वारा समय-समय पर लोगों को चेतावनी भी दी जाएगी।
आईआईटी के वैज्ञानिकों द्वारा भी मनसा देवी के पहाड़ों का अध्ययन किया गया और वैज्ञानिकों ने जो रिपोर्ट शासन को दी उसमें इन पहाड़ों को कमजोर बताया गया। मगर उसके बावजूद भी सरकार द्वारा इन पहाड़ों का ट्रीटमेंट नहीं किया गया है और साथ ही पहाड़ों के नीचे बड़ी तादाद में विकास के कार्य भी किए जा रहे हैं। जिससे इन पहाड़ों पर अब दरकने का खतरा मंडरा रहा है। अगर वक्त रहते ही इन पहाड़ों का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब यह पहाड़ हरिद्वार की एक बड़ी आबादी के लिए खतरा ना बन जाए।