राम मंदिर निर्माण: शिलान्यास के मुहूर्त पर शंकराचार्य स्वरूपानंद और साधु संत हुए आमने-सामने
– साधु-संतों ने स्वरूपानंद सरस्वती को बताया कांग्रेसी विचारधारा का शंकराचार्य
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा राम मंदिर के भूमि पूजन के मुहूर्त का विरोध करने पर हरिद्वार के साधु संतों में तीखी प्रतिक्रिया है। साधु संतों ने कहा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती कांग्रेसी मानसिकता के व्यक्ति हैं और वह साधु गिरी कम राजनीति ज्यादा करते हैं और वह हमेशा ही कांग्रेस के गुणगान करते हैं। इसलिए वे राम मंदिर के किसी भी कार्य का विरोध करते हैं। उन्होंने रामालय मंदिर ट्रस्ट बनाकर मंदिर बनाने का दावा किया था जो उनका टाय-टाय फिश निकला और अब जब देश में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर बन रहा है, तो वे कांग्रेसी मानसिकता के कारण राजनीति के तहत इसका विरोध कर रहे हैं।
ज्योतिष पीठ एवं द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा कहा गया है कि, 5 अगस्त को अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि मंदिर का शिलान्यास बिना मुहूर्त के किया जा रहा है। यह मुहूर्त गलत है जो भारतीय धर्म शास्त्रों के खिलाफ है। अगर अयोध्या में मंदिर बनाया जाना है तो उसे शुभ मुहूर्त में शास्त्र विधान के अनुसार बनाया जाना चाहिए। गलत मुहूर्त में नहीं। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि, जब राम जन्म भूमि का विवाद चल रहा था तो हमारे द्वारा एक संस्था बनाई गई थी और उसे एक पक्ष के रूप में कोर्ट में पेश किया गया था। राम मंदिर को राजनीतिक विषय ना बनाया जाए और सभी की सहमति से शुभ मुहूर्त में राम मंदिर का निर्माण किया जाए। राम मंदिर का शिलान्यास चंपत राय द्वारा पहले ही किया जा चुका है और प्रधानमंत्री मोदी जी को उपचारित रूप से बुलाया जा रहा है। यह बिल्कुल भी उचित नहीं है। कमोलिया के अंकोरवाट की तर्ज पर राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। मगर विश्व हिंदू परिषद के लोगों द्वारा जो मॉडल तैयार किया गया मंदिर उसी प्रकार का बनाया जा रहा है।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा राम मंदिर शिलान्यास के मुहूर्त को लेकर उठाए गए सवाल पर संत समाज स्वरूपानंद सरस्वती के विरोध में उतर गया है। बैरागी संप्रदाय के दिगंबर बैरागी अखाड़े के महंत बाबा हठयोगी का कहना है कि, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की राम मंदिर को लेकर भूमिका हमेशा ही संदिग्ध रही है। राम मंदिर निर्माण को हमेशा लटकाने की कोशिश की गई। उन्होंने कुछ कांग्रेस के नेताओं के साथ मिलकर ट्रस्ट भी बनाया था उनका हमेशा से उद्देश्य रहा है राम मंदिर के कार्य में रोड़ा अटकाया जाए। अब भगवान राम की कृपा से बिन मुहूर्त के भगवान राम मंदिर निर्माण के सभी कार्य पूरे हो गए हैं। जब मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने वाला है ऐसे में वह देश की जनता को गुमराह करने के लिए यह कार्य कर रहे हैं।
भगवान राम जब स्वयंवर में गए थे तो क्या उन्होंने मुहूर्त निकाला था, मगर जब भगवान राम का राज्य अभिषेक किया गया तब मुहूर्त निकाला गया और भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ। स्वरूपानंद सरस्वती हमेशा ही धार्मिक और शुभ कार्यों का विरोध करते हैं। स्वरूपानंद सरस्वती का राम जी से और मंदिर से कुछ लेना देना नहीं है। इनकी नियत में हमेशा खोट रही है। क्योंकि यह कांग्रेसी मानसिकता के व्यक्ति है। कांग्रेस हमेशा से मंदिर निर्माण को लटकाने की कोशिश कर रही थी। भूमा निकेतन शक्ति पीठ हरिद्वार के आचार्य और अध्यक्ष स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती कांग्रेसी हैं। वे साधु गिरी कम करते हैं और राजनीति ज्यादा करते हैं। एक कांग्रेसी राजनीति के कारण ही राम मंदिर का विरोध करते हैं। उनका मकसद केवल भाजपा का विरोध करना है।
उन्होंने रामालय ट्रस्ट बनाया था तो मंदिर क्यों नहीं बना दिया। अच्युतानंद तीर्थ ने आरोप लगाया कि, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती फर्जी शंकराचार्य है, ना द्वारका पीठ के शंकराचार्य हो सकते हैं और ना ही ज्योति पीठ बद्रीनाथ के। उन्होंने कहा कि, वे धनबल के बूते शंकराचार्य बने बैठे हैं जो गलत है। वे पहले इंदिरा गांधी की चाटुकारिता करते थे और अब वे सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के अन्य नेताओं की चाटुकारिता करते हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से आगामी 5 अगस्त को शिलान्यास की घोषणा की गई है।
5 अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है। विष्णु धर्म शास्त्र में स्पष्ट कहा गया है कि, “प्रोष्ठपादे विनश्यति माने भाद्रपद मास” में किया गया शुभारंभ विनाश का कारण होता है। इसको लेकर स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा शिलान्यास के मुहूर्त पर सवाल उठाए गए हैं। तो वही इस मुद्दे पर साधु संत ही स्वरूपानंद सरस्वती के खिलाफ खड़े हो गए हैं और उनको कांग्रेसी विचारधारा का संत बता कर उन पर हमलावर है और संतो का कहना है कि, जब राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और प्रधानमंत्री उसके निर्माण के शुभ कार्य में जा रहे हैं तो ऐसे में स्वरूपानंद सरस्वती का विरोध राम द्रोही है।