हिंदी सिनेमा की पतंग चली गई बादलों के पार
वरिष्ठ पत्रकार- शंभू नाथ गौतम
पिछले कुछ महीनों से हिंदी सिनेमा जगत से दुख भरी खबर आने का सिलसिला जो शुरू हुआ वह अभी तक थम नहीं पाया है। फिल्म अभिनेताओं का एक के बाद एक दुनिया को अलविदा कहना, बॉलीवुड के लिए जितना दुखद है उतना ही प्रशंसकों के लिए भी है। हम बात को आगे बढ़ाकर आपको 63 वर्ष पहले बॉलीवुड की दुनिया में लिए चलते हैं। वर्ष 1957 की बात है। इस वर्ष फिल्म ‘भाभी’ आई थी। यह फिल्म उस साल की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी। पारिवारिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में चार भाइयों की कहानी थी, जिसमें सबसे छोटे भाई का किरदार जगदीप ने निभाया था। फिल्म भाभी में जगदीप के गाए हुए दो गाने आज 63 सालों के बाद भी हिंदी सिनेमा और प्रशंसक नहीं भूल पाए हैं। इस गीत के बोल यह हैं, ‘चली-चली रे पतंग मेरी चली रे चली बादलों के पार, हो के डोर पे सवार सारी दुनिया ये देख-देख जली रे’… और दूसरा गीत, ‘चल उड़ जा रे पंछी के अब यह देश हुआ बेगाना’
अब बात करते हैं बॉलीवुड के ऐसे किरदार की जो अपने पूरे 50 वर्षों के फिल्मी करियर में प्रशंसकों को हंसाने के लिए ही जीते रहे। बुधवार देर शाम बॉलीवुड से खबर आई कि हास्य अभिनेता जगदीप नहीं रहे, वे ढलती उम्र की वजह से लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। जगदीप के निधन के बाद उन्हीं की फिल्म भाभी में गाए गानों की याद भी दिला रही है। सही मायने में बॉलीवुड की जैसे पतंग ही बादलों की ओर हमेशा के लिए चली गई हो और कह रही हो कि चल उड़ जा रे पंछी अब सब हुआ बेगाना। बता दें कि, 81 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कहने वाले महान अभिनेता जगदीप का हंसाने का अंदाज बिल्कुल अलग हुआ करता था। जैसे ही वह फिल्मी पर्दे पर आते थे दर्शक जान लेते थे कि, अब हंसने का समय आ गया है। उनके हाव-भाव इतने जबरदस्त हुआ करते थे कि, वह बिना डायलॉग बोले ही सिनेमा प्रशंसकों को हंसने पर मजबूर कर दिया करते थे।
जगदीप ने बाल कलाकार के रूप में फिल्मों में की थी शुरुआत
बताना जरूरी होगा कि, जगदीप का जन्म 29 मार्च, 1929 में मध्यप्रदेश के दतिया में हुआ था। उनके वालिद पाकिस्तान से यहां आकर बस गए थे। जगदीप ने फिल्मी करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी। वर्ष 1950 से फिल्मों में एक्टिंग का ऐसा सिलसिला चला कि 2012 तक चलता रहा। जगदीप बाल कलाकार के तौर पर बीआर चोपड़ा की फिल्म अफसाना में नजर आए थे। इसके बाद वह अब दिल्ली दूर नहीं, मुन्ना, आर पार, दो बीघा जमीन और हम पंछी एक डाल के में नजर आए थे। जगदीप को फिल्मों में लाने का श्रेय महान अभिनेता गुरुदत्त को जाता है। जगदीप उस समय अपनी मां के साथ मुंबई के एक बेहद छोटे से मकान में रहा करते थे। बचपन से ही जगदीप की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि वह एक होटल में काम करने लगे थे।
एक दिन होटल में काम करने के दौरान महान फिल्म अभिनेता और डायरेक्टर गुरुदत्त की निगाह जगदीप पर पड़ी। गुरुदत्त उन्हें वहां से ले आए और अपनी फिल्मों में रोल दिया था। वर्ष 1957 में आई फिल्म भाभी से जगदीप का फिल्मी करियर तेजी से दौड़ना शुरू हो गया था। उन्होंने करीब 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। 2012 में वे आखिरी बार ‘गली गली चोर’ फिल्म में पुलिस कांस्टेबल की भूमिका में नजर आए थे। जगदीप को फिल्म शोले में सूरमा भोपाली के किरदार के नाम से जाना जाता है। ये किरदार इतना फेमस हुआ था कि, लोग उन्हें सूरमा भोपाली ही बुलाने लगे। 90 के दशक में अंदाज अपना अपना’ में भी उनके काम को खूब पसंद किया गया था। इस फिल्म में जगदीप ने सलमान खान के पिता का रोल निभाया था।
महमूद, केस्टो मुखर्जी, आईएस जौहर के सामने जगदीप को आसान नहीं था खुद को स्थापित करना
हिंदी सिनेमा में 50 के दशक में जॉनी वॉकर, मुकरी, भगवान दादा की फिल्मी पर्दे पर कॉमेडियन का एकछत्र राज हुआ करता था। 70 के दशक आते-आते जब इन तीनों का फिल्मी करियर धीरे-धीरे ढलान पर आने लगा था। उसके बाद महमूद, केस्टो मुखर्जी और आईएस जौहर ने अपने आप को हास्य अभिनेता के तौर पर स्थापित कर लिया था। इन तीनों के बीच जगदीप को खुद स्थापित करना आसान नहीं था। लेकिन जगदीप का जो अंदाज था वह तीनों से अलग हुआ करता था। फिल्म शोले में ‘सूरमा भोपाली’ का चरित्र जगदीप के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
सूरमा भोपाली का रोल दर्शक आज भी इसे नहीं भूल पाए हैं। चाहने वालों में जगदीप सूरमा भोपाली के अपने इस किरदार के लिए मशहूर थे। जगदीप ने खुद को उस दौर में स्थापित किया, जब जॉनी वॉकर, केस्टो मुखर्जी और महमूद की तूती बोलती थी। पिछले कुछ सालों से जगदीप बीमार चल रहे थे। मशहूर एक्टर जावेद जाफरी और नावेद जाफरी उनके बेटे हैं। जगदीप के निधन से बॉलीवुड में एक बार फिर शोक की लहर दौड़ गई है। अमिताभ बच्चन समेत तमाम फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोगों ने जगदीप के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है। अगर हम बात करें पिछले लगभग दो महीनों में हिंदी सिनेमा ने इरफान खान, ऋषि कपूर, सुशांत सिंह राजपूत और सरोज खान को खो दिया है।