प्रशासन की ढील के कारण खनन माफियाओं का अवैध खनन पर जोर
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। प्रशासन की ढील के चलते खनन माफियाओं की मौज बनी हुई है। खनन माफिया बेखौफ होकर धड़ल्ले से मानकों को ताक पर रखकर खनन कर रहे हैं। लगातार ओवर लोड डंपर बीच बाजार से गुजर रहे हैं। वहीं डंपरों को अतिरिक्त ऊंचाई देकर खनन भरा जा रहा है। हालात यह है कि, खनन माफिया मानकों को ताक पर रखकर मीटरों-गहराई तक नदियों को चीर रहे हैं। यही नहीं रवन्ने पर दसीयों डम्पर पार किए जा रहे हैं। वैध खनन की आड़ में अवैध खनन के इस खेल में खनन माफियाओं की मौज बनी हुई है।
प्रशासन कोविड-19 की आड़ में इन खनन माफियाओं को भारी ढील दिए हुए हैं। साथ ही खनन माफिया भी कोविड-19 की आड़ में खनन पोकलैंड और भारी-भरकम जेसीबी मशीनों से चेनेलाइज के नाम पर खनन कर रहे हैं। अब तो कई लोगों की निजी संपत्ति सहित सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाने लगे हैं। इसका ताजा मामला स्टेडियम की चारदीवारी की जडे खोदने, गूलर का पुल के पिलरों के समय हो रहे खनन जिससे पुल को नुकसान पहुंच रहा है हो, वन विभाग के प्रभागीय कार्यालय के नीचे व धन मंत्री के आवास एवं कार्यालय के नीचे नदी में हो रहा खनन जिसमें दूरी के मांगों को धता बताकर पुरजोर खनन किया जा रहा है।
इस प्रकरण पर मंत्री से लेकर संतरी तक अपनी आंखें मूंदे हुए बैठें हैं। यही नहीं दूसरे क्षेत्र में जल संस्थान के कार्यालय और विद्यु विभाग के कार्यालय को भी इस खनन से काफी नुकसान पहुंच रहा है। वहीं सिद्धबली को जाने वाले पुल से भी दूरी के मानकों को धता बताया जा रहा है। खनन के इस अंधाधुंध अवैध कमाई के लिए खनन माफिया अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक को डराने-धमकाने से बाज नहीं आ रहे है।