तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों से गुलजार रहने वाली तुंगनाथ घाटी में लॉकडाउन के कारण पसरा सन्नाटा
रिपोर्ट- शम्भू प्रसाद
ऊखीमठ। पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात व चन्द्र शिला शिखर की तलहटी में बसे भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने के बाद भी तुंगनाथ घाटी के यात्रा पड़ावों व खूबसूरत हिल स्टेशन में सन्नाटा पसरने से स्थानीय व्यापारियों को भविष्य की चिन्ता सताने लग गयी है। वर्ष भर सैलानियों, तीर्थ यात्रियों व प्रकृति प्रेमियों से गुलज़ार रहने वाली तुंगनाथ घाटी में विगत दो माह से सैलानियों की आवाजाही ठप होने से स्थानीय व्यापारियों के सन्मुख दो जून की रोटी का संकट बना हुआ है। आने वाले दिनों में यदि केन्द्र सरकार की गाइडलाइन पर प्रदेश सरकार द्वारा स्थानीय तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के प्रयास नहीं किये जाते हैं तो क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है।
बता दे कि, तुगनाथ घाटी को प्रकृति ने अपने अदभुत नजारो से सजाया व संवारा है। पूरे देश में मिनी स्विट्ज़रलैंड के नाम से खूबसूरत हिल स्टेशन चोपता इसी घाटी में विद्यमान है। इसीलिए अधिकांश गढ़वाली फिल्मों का फिल्मांकन तुंगनाथ घाटी में फिल्माया गया। तुंगनाथ घाटी में खूबसूरत मखमली बुग्यालों की भरमार होने से तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर सैलानियों व प्रकृति प्रेमियों की आवाजाही निरन्तर जारी रहती है तथा भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने के बाद तीर्थ यात्रियों के आवागमन में भी भारी वृद्धि हो जाती थी, मगर इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने से तुंगनाथ घाटी के खूबसूरत हिल स्टेशन पठालीधार, कन्था, सिरसोली, घाटी, मस्तूरा, ताला, पोथीबासा, मक्कूबैण्ड, दुगलबिटटा, पंगेर बनिया कुण्ड, चोपता, भुजगली व तुंगनाथ घाम सहित सभी यात्रा पड़ावों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
जिससे स्थानीय व्यापारियों को भविष्य की चिन्ता सताने लग गयी है। स्थानीय व्यापारियों को उम्मीद थी कि, तीसरे लॉकडाउन के बाद स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के प्रयास होंगे। मगर चौथे लॉकडाउन की गाइडलाइन में भी तीर्थ व पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर लगी रोक के यथावत रहने से स्थानीय व्यापारियों के अरमानों पर पानी फिर गया है। चौथे लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद यदि स्थानीय तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय को मानको के अनुरुप शुरू करने के प्रयास नहीं किये जाते हैं, तो तुंगनाथ धाम में तैनात देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारियों, कर्मचारियों, तीर्थ पुरोहित समाज व स्थानीय व्यापारियों को रोजी-रोटी के लिए मोहताज होना पड़ सकता है।
प्रकृति प्रेमी रमेश चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि, तुंगनाथ घाटी की खूबसूरती को निहारने के लिए मन में बार-बार लालसा बनी रहती है। स्थानीय व्यापारी प्रदीप बजवाल ने बताया कि, प्रशासन द्वारा 20 मार्च से पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर रोक लगा दी थी, दो माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर लगी रोक के यथावत रहने से स्थानीय व्यापारियों के सन्मुख रोजी रोटी का संकट बना हुआ है। स्थानीय व्यापारी योगेन्द्र नेगी ने बताया कि, क्षेत्र के तीर्थ व पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर रोक लगने से हर वर्ग का व्यापारी प्रभावित हुआ है।