पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों से सरकार का भद्दा मजाक
– पर्यटन व्यवसाय को अगले साल तक झेलनी है मंदी की मार
– नौटंकी के बजाय उनके कारोबार/आजीविका पर ठोस मंथन करने की है जरूरत
– परिवार के मुखिया पर है भारी जिम्मेदारियों का बोझ
देहरादून। प्रदेश की महादानी व मानसिक रूप से विक्षिप्त सरकार ने पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को एक-एक हजार ₹ राहत राशि देने की घोषणा की है, जोकि एक भद्दा मजाक है। सरकार के इस फैसले पर जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सवाल खड़े किये है।सरकार ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को एक-एक हजार रुपए राहत राशि देने की कही बात
उन्होंने कहा सरकार को चाहिए कि अपनी उपलब्धियों के झूठे विज्ञापनों पर प्रतिवर्ष खर्च होने वाला करोड़ों रुपया जनता का दर्द दूर करने में लगाए। ये उद्योग वर्ष में दो-चार महीने ही चलता है तथा इसी व्यवसाय के सहारे ये लोग वर्ष भर अपने परिवार की आजीविका चलाते हैं। चूकि पर्यटन उद्योग इस महामारी व मंदी के कारण अगले साल तक लगभग ठप्प हो गया है तो ऐसे में सरकार को एक ठोस राहत राशि इन लोगों को प्रदान करनी चाहिए थी।
नौटंकी करने के बजाय सरकार, प्रदेश के लोगों की दिक्कतों को दूर करने की दिशा में उठाए ठोस कदम
लेकिन हैरानी की बात है कि समाचार पत्रों में छपवाया जा रहा है कि, इस घोषणा से इन लोगों में खुशी की लहर है। बड़े शर्म की बात है कि एक हजार रु की रकम में 15-20 दिन के लिए दूध भी नहीं आता। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि, आवश्यक आवश्यकताओं यथा बिजली, पानी, बच्चों की फीस इत्यादि स्वयं वहन कर इनकी चिंता दूर करने की दिशा में काम करे।