त्रिवेन्द्र सरकार के दावे हुए हवा-हवाई
– कर्मचारियों के भत्ते हो सकते हैं फ्रिज, तो विधायकों के भत्ते व निधि क्यों नहीं? गरीब करोड़पति विधायकों को मिलता है 1.5 लाख रुपया प्रतिमाह निर्वाचन क्षेत्र भत्ता। विधायकगण समाज सेवक हैं न कि सरकारी सेवक। 3.75 करोड प्रतिवर्ष है विधायक निधि, धरातल पर लगता है सिर्फ 30-40 फ़ीसदी पैसा। कर्मचारियों के भत्ते में कटौती करना उनके अधिकारों का हनन
देहरादून। विकासनगर स्तिथ जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि, सरकार द्वारा कोरोना महामारी की आड़ में प्रदेश के लगभग तीन लाख से अधिक कर्मचारियों के डीए आदि में कटौती/फ्रिज करने का फरमान जारी किया गया है। जोकि सीधे-सीधे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन है। सरकार को चाहिए था कि, सबसे पहले आगामी 2 वर्षों तक विधायकों का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, जोकि 1.5 लाख रुपए प्रति विधायक/प्रतिमाह है। उसको फ्रिज करना चाहिए था, क्योंकि विधायक समाज सेवक होता है न की सरकारी सेवक।
पूर्व में सरकार द्वारा बड़ी चालाकी से गरीब करोड़पति विधायकों के वेतन में 30 फ़ीसदी कटौती करने का फरमान जारी किया गया था, जोकि 9 हजार रु प्रतिमाह होता है।विधायक का वेतन 30 हजार रु प्रतिमाह है। इसके साथ-साथ विधायक निधि, जोकि 3.75 करोड़ प्रतिवर्ष है, उसको भी आगामी 2 वर्षों तक समाप्त/फ्रीज किया जाना चाहिए। क्योंकि इस निधि का मात्र 30-40 फ़ीसदी पैसा (निर्माण कार्यों के मामले में) ही धरातल पर खर्च होता है, बाकी सब कमीशन बाजी आदि के खेल में समाप्त हो जाता है।
मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि, सरकार के दावे आखिर क्यों हवा-हवाई हो गए। एक-सवा महीने में ही सरकार के हाथ में कटोरा आ गया। जबकि दानदाताओं ने सरकार को भारी भरकम रकम भी दान की है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि, कर्मचारियों का डीए फ्रिज/कटौती करने से पहले विधायकों का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता व विधायक निधि फ्रिज करे।