उत्तराखंड भी आया कोरोना वायरस की जद में, देहरादून की पीड़िता एम्स में भर्ती

उत्तराखंड भी आया कोरोना वायरस की जद में, देहरादून की पीड़िता एम्स में भर्ती

 

देहरादून। ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में देहरादून की मरीज युवती को संक्रमण वाली तिथि से 14 दिन तक एहतियातन अस्पताल में भर्ती रखा जाएगा। कोरोना वायरस की पीड़ित युवती की हालत में लगातार सुधार हो रहा है। फिलहाल एम्स अस्पताल में कोरोना वायरस आशंकित कोई अन्य मरीज भर्ती नहीं है।

बताते चलें कि, चीन में अभी तक कोरोना वायरस से करीब 259 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 11,791 से ज्यादा लोग इसकी जद में हैं। चीन के 30 प्रान्तों में कोरोना वायरल बुरी तरह फैल चुका है। चीन से 324 भारतीयों को एक विमान के जरिए भारत वापस लाया गया है। इनकी दिल्ली में सघन जांच होगी। एहतियात के तौर पर इन्हें अभी डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। वहीं केरल का जो मरीज अभी कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ है, वह चीन के वुहान यूनिवर्सिटी का छात्र है। मरीज की हालत अभी स्थिर है और उसे निगरानी में रखा गया है।

कोरोना वायरस के लक्षण

कोरोना वायरस जानवरों और इंसान दोनों को संक्रमित कर सकता है। कोरोना वायरस सांस संबंधी इंफेक्शन से जुड़ा हुआ है। इसके लक्षणों में नाक का बहना, खांसी, गले में खराश और बुखार शामिल हैं। अधिकतर मामलों में आप नहीं जान सकते हैं कि, आपको सामान्य बुखार है या फिर कोरोनावायरस। इसके लिए आपको लैब टेस्ट कराना होगा। निमोनिया, फेफड़ों में सूजन, छींक आना, अस्थमा का बिगड़ना भी इसके लक्षण हैं।

जिसमें नाक और गले का टेस्ट और ब्लड टेस्ट होंगे। अगर कोरोना वायरस इंफेक्शन आपके सांस की नली और फेफड़ों तक पहुंच गया है, तो यह निमोनिया का कारण बन सकता है। खास उन लोगों में जो बूढ़ें है और जिन्हें दिल की बीमारी है या फिर जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है। इससे बचने के लिए किसी बीमार, जुकाम, निमोनिया से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें, मास्क पहनें, अपनी आंखों, नाक और मुंह को न छुएं, हाथों को बार-बार अच्छे से साबुन से धोएं।

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के उपाय

● अपने हाथ साबुन और पानी या अल्कोहल युक्त हैंड रब से साफ करें।
● खांसते या छींकते वक्त अपनी नाक और मुंह को टिश्यू या मुड़ी हुई कोहनी से ढकें।
● जिन्हें सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण हों, उनके साथ करीबी संपर्क बनाने से बचें।
● मास (मीट) और अंडों को अच्छे से पकाएं या खाने से बचें।
● जंगल और खेतों में रहने वाले जानवरों के साथ असुरक्षित संपर्क न बनाएं।