वन दरोगा के पास सुरक्षा के नाम पर हथियार तो दूर लाठी तक की व्यवस्था नहीं: रघुनाथ

रघुनाथ सिंह नेगी

वन दरोगा के पास सुरक्षा के नाम पर हथियार तो दूर लाठी तक की व्यवस्था नहीं

 

– मुख्य सचिव के निर्देश पर वन फील्ड कर्मचारियों के मामले में शासन आया हरकत में
– मुख्य सचिव ने सचिव, वन को नवंबर 2019 में दिए थे कार्रवाई के निर्देश
– शासन ने जनवरी 2020 को प्रमुख वन संरक्षक को दिए कार्रवाई के निर्देश

देहरादून। विकासनगर स्तिथ जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने अपना एक बयान जारी कर कहा कि, दिनांक- 20/11/ 2019 को मोर्चा प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात कर वन महकमें के फील्ड कर्मचारियों की मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा था। जिसमें मुख्य सचिव ने सचिव, वन को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उक्त के अनुपालन में सचिव, वन ने दिनांक- 07/01/20 को प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड को कार्रवाई के निर्देश दिए।

मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि, उक्त ज्ञापन में अवगत कराया गया था कि, सरकारी विभागों की बदइंतजामी तथा अदूरदर्शिता का इससे बड़ा हास्यास्पद तथा खतरनाक पहलू क्या होगा कि, प्रदेश में वनों को बचाने के लिए तैनात वन बीट अधिकारी व वन दरोगा के पास सुरक्षा के नाम पर हथियार मुहैया कराना तो दूर लाठी तक की व्यवस्था नहीं की गई है।

रघुनाथ ने कहा कि, 5-10 हजार हेक्टेयर तक के जंगल को वन तस्करों, खनन माफियाओं व जंगली जानवरों से बचाने का जिम्मा एक वन बीट अधिकारी के कंधे पर है। जोकि दिन-रात जंगलों में गस्त करके वनों की कई प्रकार से रक्षा करते हैं, तथा रात्रि के समय घनघोर जंगलों में भी गस्त करते हैं।

बता दें कि, कई बार वन कर्मचारी व आमजन इन जंगली जानवरों का शिकार होते हैं। लेकिन पुख्ता सुरक्षा इंतजामों की कमी के चलते इनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा पड़ता है। इसके साथ-साथ वन रक्षकों को सांप, लंगूर, बंदर, व उत्पाती जानवरों को पकड़ने का भी जिम्मा है। लेकिन इंतजाम के नाम पर कुछ भी नहीं है, तथा जोखिम भत्ता तक की व्यवस्था नहीं की गई है। मोर्चा को उम्मीद है कि, शीघ्र ही वन कर्मचारियों की समस्या दूर होगी।